Faridabad NCR
कुमुद बंसल के उपन्यास चरैवेति : चरैवेति पर चर्चा
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : दिनांक सात दिसम्बर, 2024 को शब्द-यात्रा के बैनर तले शारदा मित्तल जी के आवास पर, सुश्री कुमुद बंसल के उपन्यास चरैवेति – चरैवेति पर गम्भीर साहित्यिक चर्चा हुई। इस अवसर पर सुश्री कुमुद रामानंद बंसल सिरसा से आई थीं और चर्चा में शामिल सभी मित्र फरीदाबाद और गुरुग्राम से थे। इस चर्चा गोष्ठी की अध्यक्षता हिंदी के जाने-माने विद्वान डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल ने की।
चरैवेति – चरैवेति, कोरोना – काल के दौरान भारत से दूर इंग्लैंड में घटी एक ऐसी प्रेम-कहानी है जो पूरा विस्तार पाकर भी पूर्णता को प्राप्त नहीं होती, इसकी अपूर्णता ही एक सफल उपन्यास का सृजन बन जाती है। उपन्यास के दो विशिष्ट पात्र हैं अबीर और कुहूकिनी जो एक हवाई यात्रा के दौरान मिलते हैं। कुहूकिनी एक पत्रकार है और अबीर एक शास्त्रीय गायक। अबीर देखते ही कुहूकिनी के पीछे पड़ जाता है। कुहुकिनी एक आदर्श प्रधान महिला है जो किसी तूफानी प्रेम में विश्वास नहीं करती, अबीर से बचती रहती है। उपन्यास की कहानी आगे बढ़ती है और कोरोना-काल आ जाता है। नायिका कोरोना से संक्रमित है और अबीर उसके घर पहुँच जाता है। वह उसे वापस भेजने के लिए गम्भीर प्रयास करती है लेकिन आवागमन बंद कर दिए जाने के कारण वह लम्बे समय तक उसके घर में रहता है, और उसकी सेवा से उसका मन जीत लेता है। एक दिन अचानक अबीर घर छोड़ कर चला जाता है उसके बाद कुहूकिनी की तड़प प्रतिशोध पर शमन करते हुए, अध्यात्म के रास्ते से कहानी को एक आदर्श अंत देती है।
इस चर्चा गोष्ठी में फरीदाबाद से आईं सुश्री सुदर्शन रत्नाकर, गुरुग्राम से सर्व सुश्री वीणा अग्रवाल, सविता सयाल, शकुंतला मित्तल, दीपशिखा श्रीवास्तव ‘दीप’, शारदा मित्तल, प्रीति मिश्रा, मंजु अग्रवाल वशिष्ठ और श्री राजेश्वर वशिष्ठ ने भाग लिया,सभी ने पुस्तक पर अपने अपने विचार रखे। उपन्यास की लेखिका डॉ. कुमुद रामानंद बंसल ने उपन्यास जुड़े निजी अनुभव साझा किए और डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में पूरी गोष्ठी में हुई चर्चा की महत्ता पर वक्तव्य दिया। धन्यवाद ज्ञापन आतिथ्य करने वाली चर्चित साहित्यकार, शारदा मित्तल ने किया।