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जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा जगदीश चंद्र बोस की जयंती गई

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 11 दिसंबर। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा महान भारतीय वैज्ञानिक आचार्य जगदीश चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (निटर), चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. भोला राम गुर्जर, विशिष्ट अतिथि के रूप में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा से प्रो. संजय कुमार शर्मा और मुख्य वक्ता के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से भौतिकी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्रो. वी.के. जिंदल उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की।
इससे पहले, सभी अतिथियों ने सम्मान स्वरूप आचार्य जगदीश चंद्र बोस की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन समारोह से हुई, जिसके बाद डीन (संस्थान) प्रो. मुनीश वशिष्ठ ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें उन्होंने आचार्य जगदीश चंद्र बोस के जीवन एवं कार्यों का संक्षिप्त परिचय दिया। कार्यक्रम के मुख्य संबोधन में प्रो. वी.के. जिंदल ने नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्बन पदार्थों में नए विकास पर एक प्रभावशाली व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने अपने विषय को आचार्य जगदीश चंद्र बोस के शोध क्षेत्र से जोड़ा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. संजय कुमार शर्मा ने जगदीश चंद्र बोस के जीवन से उदाहरण देते हुए भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में प्राचीन काल से ही महान वैज्ञानिक हुए है और हमारे वेदों एवं अन्य ग्रंथों में बहुत सारा वैज्ञानिक ज्ञान निहित है, जिसे वर्तमान संदर्भ में समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने युवा शोधकर्ताओं को अपनी शोध समस्याओं के समाधान खोजने के लिए प्राचीन भारतीय ग्रंथों में निहित ज्ञान का पता लगाने का आह्वान भी किया।
प्रो. भोला राम गुर्जर ने अपने संबोधन में बताया कि जगदीश चंद्र बोस का बहुविषयक शोध क्षेत्र अपने समय से आगे था। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बहुविषयक और अंतःविषयक शोध दृष्टिकोणों पर बल देती है, वहीं आचार्य बोस के वैज्ञानिक कार्य उनकी दूरदर्शी सोच का उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि जे.सी. बोस वैज्ञानिक अनुसंधान के व्यावसायीकरण का विरोध करते थे और इसे सामाजिक हित में देखते थे। उन्होंने छात्रों से उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. सुशील कुमार तोमर ने प्लांट साइंस में जगदीश चंद्र बोस द्वारा क्रेस्कोग्राफ के आविष्कार के बारे में विस्तार से बताया, जो पौधों की सूक्ष्म गतिविधियों को मापने वाला एक उपकरण है। उन्होंने प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर बल दिया और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डाला। प्रो. तोमर ने उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय ने वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए जगदीश चंद्र बोस चेयर की स्थापना की है और युवा वैज्ञानिक पुरस्कार की स्थापना की है।
कार्यक्रम के अंत में प्रो. वासदेव मल्होत्रा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया, मुख्य बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया तथा सभी प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के सफल संचालन में प्रो. विकास तुर्क ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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