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Faridabad NCR

अर्थव्यवस्था को गर्त में ले जाने वाला ‘घोर निराशाजनक’ है बजट :  मनोज अग्रवाल

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनोज अग्रवाल ने आज केंद्रीय बजट को ‘निराशाजनक’ करार देते हुए कहा कि भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट में दलितों को कुछ नहीं मिला, आदिवासियों को कुछ नहीं मिला, पिछड़ों को कुछ नहीं मिला, अल्पसंख्यको को कुछ नहीं मिला, किसानों को कुछ नहीं मिला, युवाओं को कुछ नहीं मिला, मध्यम व छोटे वर्गीय उद्योगों को कुछ नहीं मिला। यह बजट देश की 90त्न आबादी की आजीविका पर डाका डालने वाला बजट है। भाजपा सरकार की ‘अनर्थ नीतियों’ ने औद्योगिक क्षेत्र को नष्ट करने का काम किया है। इस जनविरोधी सरकार के संरक्षणवाद और पूंजीवाद ने एकाधिकार को प्रोत्साहित कर औद्योगिक क्षेत्र पर आक्रमण किया है। यह पूरे प्रदेश के लिए बड़े ही दुर्भाग्य की बात है की आज सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर केंद्र की सरकार में मंत्री हैं, लेकिन इसके बावजूद आज पेश हुए केंद्रीय बजट में हरियाणा का नाम तक नहीं लिया गया।  वहीं इस केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव प्रियंका अग्रवाल ने कहा की किसान की आय दोगुनी करने का जो वादा किया गया, वो आज दिन तक कागजी है। इस बजट में भी किसान की आय दुगुनी करने का कोई रोडमैप नजर नहीं आता। न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करना, कृषि यंत्रों से जीएसटी पूर्णतया हटाना जैसे विषयों का जिक्र तक नहीं किया गया। किसान को अतिरिक्त ऋण देने की बड़ी-बड़ी बातें हर बार होती हैं, लेकिन कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता कि किसान को उसकी उपज का उचित लाभ देकर इतना सामथ्र्यवान बना दिया जाए कि अन्नदाता को कर्ज लेने की जरूरत ही न पड़े। युवाओं के बेहत्तर भविष्य के लिए भी कोई उपयोगी योजना इस बजट में प्रदर्शित नहीं होती। कांग्रेस न्यायपत्र-2024 से युवाओं के लिए इंटर्नशिप आईडिया कॉपी जरूर किया है, लेकिन युवाओं के लिए न्यायपत्र के अनुसार लाभ सुनिश्चित नहीं किया गया है। स्कील इंडिया की बातें पूर्व में भी हुईं हैं, लेकिन इसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। अमीर-गरीब के बीच लगातार बढ़ते गैप को फिर से नजरअंदाज किया गया है। दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, मध्यम वर्ग और गाँव-गऱीब के लिए कोई भी कोई क्रांतिकारी योजना नहीं होना भी सरकार ही संवेदनहीनता को परिलक्षित करता है।
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