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38वां सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला शानदार सफलता शुरुआती तीन दिनों में रिकॉर्ड भीड़

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 10 फरवरी। सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले के 38वें संस्करण की शानदार शुरुआत हुई है, जिसमें पहले तीन दिनों में भारी संख्या में दर्शक पहुंचे। ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, महामंच की शुरुआत और सितारों से सजी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने इस मेले को एक नई ऊंचाई दी है। पहले दिन सतिंदर सरताज, दूसरे दिन मामे खान, और तीसरे दिन इरशाद कामिल और महाबीर गुड्डू की शानदार प्रस्तुति ने इस सांस्कृतिक उत्सव को और भव्य बना दिया।
जोश से भरे इन कार्यक्रमों के अलावा, इस बार मेले में टिकट बिक्री में पिछले साल की तुलना में 20% की वृद्धि देखी गई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण ऑनलाइन टिकटिंग सिस्टम की सहजता और दिल्ली मेट्रो के सहयोग से किया गया व्यापक प्रचार है। मेट्रो स्टेशनों पर लगाए गए सूरजकुंड मेले के डिजिटल स्क्रीन और बैनरों ने दर्शकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पारदर्शिता से शिल्पकारों को सशक्त बनाना
इस वर्ष, हरियाणा पर्यटन विभाग ने पारदर्शी ऑनलाइन स्टॉल बुकिंग प्रणाली शुरू की है, जिससे सभी राज्यों और देशों के कारीगरों को समान अवसर मिल रहे हैं। इस पहल को एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गई है और असली कारीगरों को अपनी कला प्रदर्शित करने का सुनहरा मौका मिल रहा है।
थीम राज्य: ओडिशा और मध्य प्रदेश की अनूठी प्रस्तुति
इस वर्ष मेले में ओडिशा और मध्य प्रदेश (MP) थीम राज्य के रूप में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ओडिशा पवेलियन अपने हस्तशिल्प, पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत के भव्य प्रदर्शन के साथ लोगों को आकर्षित कर रहा है। इसके अलावा, विश्व प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक की उपस्थिति ने इस पवेलियन को और भी खास बना दिया है, जहां उनकी शानदार कृतियों को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है।
दूसरी ओर, मध्य प्रदेश पवेलियन वन्यजीव, पर्यटन स्थल, कला और संस्कृति का मिश्रण है। राज्य के प्रसिद्ध महेश्वरी और चंदेरी वस्त्रों ने शिल्प प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। यह पवेलियन मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को शानदार ढंग से प्रस्तुत कर रहा है।
सांस्कृतिक और पारंपरिक कार्यक्रमों का जलवा
नवप्रवर्तित नाट्यशाला (Natyashala) ने स्कूल के बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक नया मंच प्रदान किया है, जिससे मेले में शैक्षिक और सहभागिता का एक नया आयाम जुड़ गया है। वहीं, अपना घर पहल, जो हरियाणा की ग्रामीण विरासत से प्रेरित है, ने पारंपरिक हरियाणवी कला और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया है। विशेष रूप से, पगड़ी बांधो प्रतियोगिता ने काफी लोकप्रियता हासिल की है।
इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्निवल ने स्थानीय और वैश्विक कलाकारों को एक साथ लाकर इस मेले को और भी रंगीन बना दिया है। पारंपरिक और आधुनिक प्रस्तुतियों के शानदार संयोजन ने इस मेले को अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच बना दिया है।
हस्तशिल्प और हथकरघा प्रेमियों के लिए स्वर्ग
जो लोग पारंपरिक वस्त्रों के प्रेमी हैं, उनके लिए सूरजकुंड मेला दुर्लभ और अनूठे वस्त्रों का खजाना है। इस मेले में बनारसी साड़ी, रंगकाट साड़ी, तंचोई ड्रेस मटेरियल, अवध जामदानी साड़ी, कोटा डोरिया साड़ी, पश्मीना शॉल, कांचीपुरम सिल्क साड़ी, अरनी सिल्क साड़ी, इकत सिल्क साड़ी, वेंतगिरी साड़ी, तसर सिल्क साड़ी, महेश्वरी साड़ी जैसी कई दुर्लभ वस्तुएं उपलब्ध हैं। इन वस्त्रों की अनूठी श्रृंखला, जो एक ही स्थान पर शायद ही कहीं और देखने को मिले, ने दर्शकों और खरीदारों को आकर्षित किया है।
इसके अलावा, मेले में आभूषणों की एक विशेष श्रृंखला उपलब्ध है, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक डिजाइन के आभूषण शामिल हैं। अन्य प्रमुख आकर्षणों में मिनिएचर पेंटिंग, कलमकारी कला, इंडिगो डाइंग, लकड़ी के बर्तन, निर्मल खिलौने, गोरखपुर टेराकोटा, चिकनकारी कढ़ाई और बनारसी हस्तशिल्प शामिल हैं।
सूरजकुंड मेला: हर साल नई सौगात
38वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले ने परंपरा और नवाचार को मिलाकर एक नया अनुभव प्रदान किया है। पर्यटन विभाग के पारदर्शी स्टॉल आवंटन, विस्तृत प्रचार और विश्व स्तरीय सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने इस मेले को एक नई पहचान दी है।दिल्ली मेट्रो की भागीदारी और मेट्रो स्टेशनों पर ब्रांडिंग के चलते मेले में भारी संख्या में आगंतुक पहुंचे हैं।
यह मौका न चूकें! मेला 23 फरवरी तक जारी रहेगा
सूरजकुंड मेला 2025 कला प्रेमियों, सांस्कृतिक उत्साही लोगों और पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव है। यदि आपने अभी तक इस मेले का आनंद नहीं लिया है, तो इस कला, संस्कृति और परंपरा के भव्य संगम को देखने का मौका न गंवाएं। यह मेला 23 फरवरी तक खुला रहेगा, इसलिए जल्दी करें और इस प्रतिष्ठित उत्सव की चमक का हिस्सा बनें!

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