Faridabad NCR
38 वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में ओडिशा के हिमांशु शेखर पांड्या की घीया कला बन रही आकर्षण का केंद्र
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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 15 फरवरी। अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी विशिष्ट पहचान कायम कर रहा सूरजकुंड शिल्प मेले में इस बार देश-विदेश से आए कलाकार अपने अनूठे शिल्प और हस्तकला के प्रदर्शन से सैलानियों का दिल जीत रहे हैं। इस मेले में ओडिशा के रायगढ़ निवासी शिल्पकार हिमांशु शेखर पांड्या अपनी विशिष्ट कला के चलते चर्चा में हैं। उन्होंने सूखी घीया (लौकी) से अनूठे डिजाइनर हैंडीक्राफ्ट आइटम तैयार कर एक नई कला को जन्म दिया है। हिमांशु ने कहा कि अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर उन्हें अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में मिला है जिसके लिए वे हरियाणा सरकार का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार का थीम स्टेट उनका राज्य ओडिशा है, ऐसे में वे और अधिक खुशी की अभिव्यक्ति कर रहे हैं।
करीब 20 साल पहले हिमांशु शेखर को इस कला की प्रेरणा तब मिली जब उन्होंने ओडिशा के कुछ आदिवासी समुदायों को सूखी लौकी का उपयोग पानी संरक्षित करते देखा। उन्होंने इस पर शोध किया और धीरे-धीरे इसे हस्तकला के रूप में विकसित कर दिया। आज उनकी बनाई गई ‘घीया कला’ ओडिशा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लोकप्रिय हो रही है।
रायगढ़ के दो हजार से ज्यादा परिवारों को मिली स्वरोजगार की राह :
शिल्पकार हिमांशु की इस अनूठी पहल के कारण ओडिशा के रायगढ़ जिले के 15 गांवों में किसानों ने लौकी की खेती को अपने मुख्य व्यवसाय के रूप में अपना लिया है। यह किसान लौकी को सुखाकर कलाकारों को बेचते हैं जिससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिला है। वर्तमान में लगभग दो हजार परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। वे बताते हैं कि एक साधारण सी दिखने वाली लौकी, जिसे किसान मात्र 50 रुपए में बेचते हैं, वह उनके कारीगरों के हाथों से गुजरकर 500 रुपए से लेकर 80 हजार रुपए तक की कीमत में बिकती है। यह कला न केवल सुंदरता और नवीनता की मिसाल है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। इन हस्तनिर्मित वस्तुओं की खासियत यह है कि ये हल्की (लाइटवेट) होती हैं और पूरी तरह वॉटरप्रूफ होती हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जैसे कि पारंपरिक लैंप, सजावटी सामान, लटकन, वॉल हैंगिंग, आभूषण बॉक्स और अन्य हस्तकला उत्पाद इत्यादि। यह सभी उत्पाद प्राकृतिक रूप से टिकाऊ होते हैं और लंबे समय तक उपयोग किए जा सकते हैं।
सूरजकुंड मेले में आए पर्यटक हिमांशु शेखर पांड्या के स्टॉल पर इस अनूठी कला को देखकर बेहद प्रभावित हो रहे हैं। देश-विदेश से आए खरीददार इस हस्तकला को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं। इस कला की बढ़ती मांग को देखते हुए हिमांशु शेखर ने इसे वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।