Faridabad NCR
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 22 अप्रैल। जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने आज विश्व पृथ्वी दिवस 2025 को ‘हमारी शक्ति और हमारा ग्रह’ थीम के साथ एक उत्साहपूर्ण आयोजन के माध्यम से मनाया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण में सबकी सामूहिक भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग और वसुंधरा इको-क्लब द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने और स्थायी जीवन को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक भागीदारी की आवश्यकता को लेकर बल दिया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ एक दीप प्रज्वलन समारोह के साथ हुआ, जो हरित भविष्य के लिए आशा का प्रतीक के रूप में रहा। इस अवसर पर श्री कृष्ण सिंघल, उप महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त), आईओसीएल, फरीदाबाद और डॉ. एन.पी. शुक्ला, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के पूर्व अध्यक्ष, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की। विभिन्न विभागों के डीन, अध्यक्ष और संकाय सदस्य भी इस अवसर पर मौजूद थे।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. तोमर ने जोर देकर कहा कि सतत जीवनशैली अपनाना एक विकल्प नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और भावी पीढ़ियों के लिए संसाधनों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने दैनिक जीवन में पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं को शामिल करने का आह्वान किया।
श्री कृष्ण सिंघल ने प्राचीन ज्ञान को आधुनिक चुनौतियों से जोड़ते हुए ऋग्वेद, भगवद गीता और गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं का उल्लेख किया और पर्यावरण संरक्षण की वकालत की। उन्होंने वायु गुणवत्ता में गिरावट, ई-कचरा प्रबंधन और अरावली में जैव विविधता के नुकसान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कारपूलिंग से लेकर हरित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के व्यक्तिगत उपाये व्यापक बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट पहल का समर्थन किया।
अपने मुख्य संबोधन में डॉ. एन.पी. शुक्ला ने मानवीय गतिविधियों और पारिस्थितिक स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंध पर बल दिया। रतलाम के जल प्रदूषण संकट को एक मामले के अध्ययन के रूप में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने अनियंत्रित औद्योगिक कचरे के निपटान को लेकर चेतावनी दी और जल प्रणालियों को पुनर्जनन में साल के पेड़ों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारा हर पर्यावरण-अनुकूल विकल्प ग्रह के उपचार की दिशा में एक कदम है।
कार्यक्रम का समापन सहायक प्रोफेसर डॉ. अनीता गिर्धर द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण विभाग की अध्यक्ष डॉ. रेणुका गुप्ता की देखरेख में आयोजन टीम और संकाय सदस्यों, जिनमें डॉ. प्रीति सेठी, डॉ. साक्षी, डॉ. हरीश कुमार और शोधार्थी शामिल रहे, द्वारा किया गया।