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बदलती जीवनशैली और धूम्रपान बना रहा अस्थमा का रोगी: डॉ. एस विद्या नायर 

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 5 मई। वायु प्रदूषण, बदलती जीवनशैली के साथ ही धूम्रपान की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण श्वसन संबंधी रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। विश्व अस्थमा दिवस पर यह कहना है ग्रेटर फरीदाबाद स्थित एकॉर्ड अस्पताल की श्वास रोग विशेषज्ञ (पल्मोनोलॉजिस्ट) डॉ. विद्या नायर  ने इस पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अस्थमा सहित फेफड़े संबंधी कई रोग अब हर आयु वर्ग में देखने को मिल रहे हैं। वायु प्रदूषण के कारण कफ और खांसी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस ओर सभी को ध्यान देना होगा। उन्होंने बताया की हर साल अस्थमा रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 6 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। अस्थमा सांस की नली और फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें कई बार सही समय पर मरीज को इलाज ना मिले, तो उसकी जान भी जा सकती है। यह रोग बच्चों से लेकर बड़ों को कभी भी हो सकता है।
अस्थमा होने पर सांस की नली (एयरवेज) में सूजन या इंफ्लेमेशन हो जाता है, जिसके कारण सांस की नलिका के पैसेज सिकुड़ जाते हैं। नलिका के पैसेज जब सिकुड़ जाते हैं, तो अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इसके अलावा सांस की नलिका के पास जो स्मूद मसल्स होते हैं, वे भी संकीर्ण हो जाती हैं। जब संकीर्णता या सिकुड़न हद से ज्यादा हो जाती है, तो अस्थमा के लक्षण में सीटी जैसी आवाज आने लगती है। जब भी कोई हवा संकीर्ण हुई पैसेज से गुजरती है, तो सीटी जैसी आवाज आती है। डॉ. विद्या ने बताया कि अस्थमा का अभी तक कोई परमानैंट इलाज नहीं है। यह बीमारी बूढ़े, बच्चों व युवाओं सभी को हो सकती है। इस बीमारी से बचाव के लिए धूल, धुंआ, भस व ठंडी चीजें कोल्डड्रिंक, फ्रिज का ठंडा पानी व अन्य ठंडी चीजें जिनकी तासीर ठंडी होती है, से बचना चाहिए। रोगी को मास्क लगाना चाहिए और धूम्रपान का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए क्योंकि धूम्रपान एक बड़ा कारण अस्थमा रोग का होता है।
धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में यह रोग अधिक संख्या में होता है। उन्होंने कहा कि बचाव ही इसका इलाज है इसलिए सावधानी जरूर बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा सर्दी में यह रोग ज्यादा तेजी से अटैक करता है, सर्दी के कारण हमारे फेफड़े काम करना बहुत ही कम कर देते हैं जिसके कारण एलर्जिक इंफेंसिक पैदा होने के चांस ज्यादा हो जाते हैं, इसलिए हमें सर्दियों में गुनगुना पानी पीना चाहिए और सर्दी से बचाव जरूर करना चाहिए। अस्थमा का अटैक कभी कभी बहुत ही सीरियस हो जाता है, ऐसे में लापरवाही बरतने पर मरीज की जान भी चली जाती है, ऐसे में ज्यादा तकलीफ होने पर या चलने फिरने में असमर्थ होने पर तत्काल बिना किसी देरी किये चिकित्सक को दिखाएं और आवश्यक उपचार लें और समय-समय पर डॉक्टर से बात भी करते रहें।
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