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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : तीसरे नवरात्रि पर माता वैष्णो देवी मंदिर में माता चंद्रघंटा की भव्य पूजा अर्चना की गई. इस शुभ अवसर पर सुबह से ही मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना के लिए आनी शुरू हो गई. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने प्रातः कालीन आरती और पूजा का शुभारंभ करवाया. इस अवसर पर उद्योगपति आर के जैन. पार्षद मनोज नासवा, सुरेंद्र गेरा, प्रताप भाटिया, एसपी भाटिया, विनोद पांडे और विमल पुरी ने माता के दरबार में हाजिरी लगाई और हवन और पूजन में हिस्सा लिया. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए सभी अतिथियों को माता की चुनरी और प्रसाद भेंट किया. इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री भाटिया ने माता चंद्रघंटा की महिमा का बखान करते हुए कहा कि पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर नाम के एक राक्षस ने देवराज इंद्र का सिंहासन हड़प लिया था. महिषासुर स्वर्गलोक पर राज करना चाहता था. उसकी यह इच्छा जानकार देवता चितिंत fहो गए, जिसके बाद वे अपनी इस परेशानी के लिए त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के पास पहुंचें. महिषासुर के आतंक की गाथा सुनकर त्रिदेव क्रोधिक हो गए. इस क्रोध के चलते तीनों के मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई. इसी उर्जा से मां चंद्रघंटा का जन्म हुआ. महिषासुर का अंत करने के लिए भगवान शंकर ने मां को अपना त्रिशूल और भगवान विष्णु ने अपना चक्र प्रदान किया. इसके बाद सभी देवी देवताओं ने भी माता को अपना-अपना अस्त्र सौंप दिया. इंद्रदेव ने मां को अपना एक घंटा दिया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर देवताओं की रक्षा की. उन्होंने बताया कि मां चंद्रघंटा को दूध से बनी खीर का भोग लगाया जाता है. सफेद रंग माता चंद्रघंटा को अति प्रिय है. जो भी भक्त सच्चे मन से माता चंद्रघंटा की पूजा कर मुराद मांगता है वह अवश्य पूर्ण होती है.