Faridabad NCR
चौथे नवरात्रि पर महारानी वैष्णो देवी मंदिर में हुई माता कुष्मांडा की भव्य पूजा, विधायक सतीश फागना ने टेका माथा

मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने सभी श्रद्धालुओं को बताया कि नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कूष्मांडा देवी की आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के दुख-दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है। माना जाता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। ज्योतिष में मां कूष्मांडा का संबध बुध ग्रह से है। इसलिए माता का ये रूप बुद्धि का वरदान देती हैं। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से बुध ग्रह कुंडली में सकारात्मक रहता है। साथ ही सोच सकारात्मक रहती है।मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं है। इसी कारण उन्हें अष्टभुजा भी कहते हैं। मां कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। बता दें कि मां के एक हाथ में जपमाला और अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा शामिल है।मां कूष्मांडा की पूजा में विशेष रूप से पीले रंग का केसर वाला पेठा चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा मालपुआ और बताशे भी मां कूष्मांडा को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं। श्री भाटिया ने कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना करते हैं उनकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.