Faridabad NCR
पांचवे नवरात्रि पर श्री वैष्णो देवी मंदिर में माता स्कंद की हुई पूजा

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : पांचवे नवरात्रि पर श्री महारानी वैष्णो देवी मंदिर में माता स्कंद की भव्य पूजा अर्चना की गई. प्रातः कालीन आरती के समय मंदिर में भक्तों की भारी संख्या में उपस्थिती दर्ज की गई। इस पवित्र अवसर पर श्रद्धालुओं ने माता स्कंद की पूजा अर्चना की और अपने मन की मुराद उनसे मांगी। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए श्रद्धालुओं को नवरात्रों की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर समाजसेवी विनोद पांडे. करण भाटिया और राज मदान ने माता की पूजा अर्चना में हिस्सा। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए सभी अतिथियों को प्रसाद वितरित किया. इस अवसर पर श्री भाटिया ने स्कंद माता की महिमा का बखान करते हुए कहा कि नवरात्रि के पंचम दिन मां स्कंदमाता की पूजा- अर्चना करने का विधान है। साथ ही इन्हें अत्यंत दयालु माना जाता है। कहते हैं कि देवी दुर्गा का यह स्वरूप मातृत्व को परिभाषित करता है। वहीं प्रेम और ममता की मूर्ति स्कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होता है और मां आपके बच्चों को दीर्घायु प्रदान करती हैं। वहीं देवी भागवत पुराण के अनुसार भोलेनाथ की अर्द्धांगिनी के रूप में मां ने स्वामी कार्तिकेय को जन्म दिया था। स्वामी कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है, इसलिए मां दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता कहा गया है। प्राचीन कथा के अनुसार तारकासुर नाम एक राक्षस ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या कर रहा था। उस कठोर तप से ब्रह्मा जी प्रसन्न होकर उनके सामने आए। ब्रह्मा जी से वरदान मांगते हुए तारकासुर ने अमर करने के लिए कहा। तब ब्रह्मा जी ने उसे समझाया कि इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है। निराश होकर उसने ब्रह्मा जी कहा कि प्रभु ऐसा कर दें कि भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही उसकी मृत्यु हो।तारकासुर की ऐसी धारणा थी कि भगवान शिव कभी विवाह नहीं करेंगे। इसलिए उसकी कभी मृत्यु नहीं होगी। फिर उसने लोगों पर हिंसा करनी शुरू कर दी। तारकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और तारकासुर से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। तब शिव ने पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें। बड़े होने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं। उन्होंने बताया कि माता रानी का प्रिय भोग केले का फल है और माता रानी को हरा रंग सबसे अधिक प्रिय है। माता स्कंद की सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की हर मनोकामना आवश्यक पूर्ण होती है।