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रामनवमी पर श्री महारानी वैष्णो देवी मंदिर में हुई माता सिद्धिदात्री की भव्य पूजा, जगदीश भाटिया ने दी बधाई

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : रामनवमी के अवसर पर श्री महारानी वैष्णो देवी मंदिर में मां दुर्गा के नवे स्वरूप माता सिद्धिदात्री की भव्य पूजा अर्चना की गई. प्रातः कालीन आरती में भक्तों ने मां सिद्धिदात्री के दरबार में अपनी हाजिरी लगाई. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए सभी श्रद्धालुओं को रामनवमी की शुभकामनाएं और बधाई दी. इसी अवसर पर उद्योगपति आर के बत्रा, विकास खत्री तथा विनोद ने माता सिद्धिदात्री के दरबार में हाजिर होकर पूजा अर्चना में भाग लिया. इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने माता सिद्धिदात्री की महिमा का बखान करते हुए कहा कि मां दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें। उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो। इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।सिद्धिदात्री मां के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। मां भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती।मां के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करनी चाहिए। मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। श्री भाटिया ने कहा कि माता सिद्धिदात्री को हलवा पुरी का भोग लगाया जाता है तथा उन्हें गुलाबी रंग बेहद ही प्रिय है. रामनवमी के अवसर पर मंदिर में कंजक पूजन भी किया गया. श्री भाटिया ने कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता सिद्धिदात्री की पूजा करता है उनकी सभी मनोकामनाएं आवश्य पूर्ण होती हैं
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