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संतोष राव: रेडियो जॉकी से जेल सुधारक तक, आकाशवाणी के RJ जिन्होंने तिहाड़ की दीवारों के भीतर जगाई नई उम्मीद

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New Delhi Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : जहां-जहां कदम रखा, वहां इतिहास रच दिया — यह बात रेडियो जगत के चर्चित नाम RJ संतोष राव (SR) पर पूरी तरह लागू होती है। आकाशवाणी FM रेनबो के मशहूर RJ के रूप में पहचाने जाने वाले संतोष राव ने न सिर्फ रेडियो की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई बल्कि जेल सुधार के क्षेत्र में भी एक नई मिसाल कायम की है।
साल 2010 में बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन द्वारा आकाशवाणी के लिए दिया गया 20 मिनट का विशेष इंटरव्यू RJ संतोष राव के ही शो “ऑन एयर मेहमान” का हिस्सा था, जिसने रेडियो इतिहास में अपनी अलग जगह बनाई।
रेडियो से समाजसेवा तक का सफर
बाल्यकाल से ही समाजसेवा की भावना रखने वाले संतोष राव ने वर्ष 2000 में “लक्ष्य” नामक एनजीओ की स्थापना की। इसका उद्देश्य था – समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करना, एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों की मदद करना और तिहाड़ जेल के बंदी भाइयों-बहनों को पुनर्वास की राह पर लाना।
तिहाड़ जेल में संतोष राव के प्रयासों से कई बंदियों ने सिंगिंग, डांस और एक्टिंग जैसी कलाओं में प्रशिक्षण प्राप्त कर नई जिंदगी की शुरुआत की। उनके इसी मिशन के तहत बंदियों के लिए “FLYING SOUL” और “ROCK THE BAND” जैसे संगीत बैंड बने, जिन्होंने 2014 में इंडिया हैबिटेट सेंटर और एयरफोर्स ऑडिटोरियम में प्रदर्शन कर इतिहास रच दिया।
जेल की दीवारों के भीतर गूंजा FM-TJ
वर्ष 2013 में तत्कालीन जेल महानिदेशक (IPS) विमला मेहरा के सहयोग से RJ संतोष राव के सुझाव पर FM-TJ (FM Tihar Jail) की स्थापना की गई। इसकी जिम्मेदारी “लक्ष्य” संस्था को सौंपी गई, जिसके अंतर्गत संतोष राव ने स्टूडियो निर्माण से लेकर रेडियो जॉकी प्रशिक्षण तक का कार्य संभाला।
आज तक 1800 से अधिक कैदियों को रेडियो प्रशिक्षण देने वाले संतोष राव ने तिहाड़ और मंडोली जेलों की लगभग सभी इकाइयों में FM-TJ की शुरुआत की है। वर्ष 2025 में भी वे तिहाड़ की 10 और मंडोली की 6 जेलों में करीब 250 बंदियों को रेडियो जॉकी प्रशिक्षण दे रहे हैं।
बंदी कलाकारों की नई पहचान
संतोष राव द्वारा प्रशिक्षित बंदियों ने “तिनका-तिनका तिहाड़ एंथम”, “जी ले जरा” (8 गीतों का एल्बम) और “यह तिरंगा” जैसे प्रेरणादायक गीतों को स्वर देकर समाज में नई उम्मीद जगाई है।
रेडियो की आवाज़ से लेकर जेल सुधार की राह तक — संतोष राव ने साबित कर दिया कि यदि नीयत नेक हो और दिशा सही, तो एक आवाज़ भी बदलाव की मिसाल बन सकती है।
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