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Faridabad NCR

यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, सेक्टर-88 फरीदाबाद के डॉक्टरों ने मिनिमली इनवेसिव तकनीक से युवा महिला का गर्भाशय सुरक्षित रखते हुए किया सफल उपचार

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 8 नवंबर। यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, सेक्टर-88 फरीदाबाद के डॉक्टरों ने ग्रेड – 3 यूटेरोवेजाइनल प्रोलैप्स से पीड़ित एक युवा महिला का सफलतापूर्वक उपचार लैप्रोस्कोपिक सैक्रोकॉल्पोपेक्सी विद मैश रिपेयर जैसी एडवांस मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया से किया। इस सर्जरी में न केवल गंभीर प्रोलैप्स को ठीक किया गया, बल्कि मरीज का गर्भाशय भी सुरक्षित रखा गया, जिससे वह जल्दी ठीक हो गई और शरीर पर कोई बाहरी निशान भी नहीं रहा।

यह मरीज, जिनकी तीन सामान्य डिलीवरी हो चुकी थीं, पेल्विक एरिया में खिंचाव जैसा महसूस होने और पेरिनियम की ढीलापन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची। जांच में उन्हें थर्ड-डिग्री यूटेरोवेजाइनल प्रोलैप्स विद रेक्टोसील पाया गया — ऐसी स्थिति जिसमें गर्भाशय योनि से बाहर की ओर आ जाता है। स्वाभाविक रूप से वह और उनके पति काफी चिंतित थे, खासतौर पर इसलिए क्योंकि अन्य जगहों पर उन्हें गर्भाशय हटाने (हिस्टेरेक्टॉमी) की सलाह दी गई थी, जिसे वे उसकी कम उम्र के कारण स्वीकार नहीं कर पा रहे थे।

विस्तृत जांच, काउंसलिंग और प्री-ऑपरेटिव इवैल्यूएशन के बाद, यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, एडवांस्ड गायनी लैप्रोस्कोपिक एवं रोबोटिक सर्जरी विभाग की डायरेक्टर एवं एचओडी, डॉ. चंचल गुप्ता के नेतृत्व में टीम ने लैप्रोस्कोपिक सैक्रोकॉल्पोपेक्सी विद मैश रिपेयर करने का निर्णय लिया। इस एडवांस की-होल सर्जरी के माध्यम से प्रोलैप्स हुए गर्भाशय को ऊपर उठाकर मैश की मदद से फिक्स किया गया, जिससे गर्भाशय निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ी।

सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी हुई, जिसमें बेहद कम रक्तस्राव हुआ और कोई बाहरी टांका नहीं लगाया गया। मरीज अगले ही दिन चलने-फिरने लगी और तीसरे दिन आराम से डिस्चार्ज कर दी गई। उसकी रिकवरी तेज और बिना किसी जटिलता के रही, और परिणाम कार्यात्मक व सौंदर्य की दृष्टि से बेहद संतोषजनक रहे।

इस मामले के बारे में बताते हुए यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, एडवांस्ड गायनी लैप्रोस्कोपिक एवं रोबोटिक सर्जरी विभाग की डायरेक्टर एवं एचओडी, डॉ. चंचल गुप्ता ने बताया कि, “यह केस चुनौतीपूर्ण था क्योंकि हमें प्रोलैप्स को ठीक करते हुए गर्भाशय भी सुरक्षित रखना था। कई युवा महिलाओं को यूटेरोवेजाइनल प्रोलैप्स का निदान होने पर गर्भाशय खोने का डर रहता है, लेकिन आज की आधुनिक लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक तकनीकें हमें बिना हिस्टेरेक्टॉमी किए प्रभावी उपचार करने में सक्षम बनाती हैं। हमारा उद्देश्य केवल उनकी एनाटॉमी को सुधारना ही नहीं, बल्कि उनका आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता वापस देना भी था — और हमें खुशी है कि हम ऐसा कर पाए।”

यह सफल केस दर्शाता है कि यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, सेक्टर-88 फरीदाबाद एडवांस्ड मिनिमली इनवेसिव तकनीकों के माध्यम से कॉम्प्लेक्स गायनेकोलॉजी केसेस के लिए महिलाओं को यूटरस प्रिज़र्विंग आधुनिक उपचार विकल्प प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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