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Faridabad NCR

समय पर सर्जरी से बची 33 वर्षीय महिला की बांह, गहरी चोट से बंद हो गई थी हाथ की नली

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : यथार्थ अस्पताल, फरीदाबाद में समय पर की गई सर्जरी ने एक 33 वर्षीय महिला के दाहिने बांह को कटने से बचा लिया। गहरे जख्म के कारण हाथ तक खून पहुंचाने वाली नली बंद हो गई थी, और अगर थोड़ी भी देर होती, तो हाथ की ताकत हमेशा के लिए जा सकती थी। यह मामला दिखाता है कि जब हाथ या पैर में कोई गंभीर चोट लगती है और खून की नली प्रभावित होती है, तो जल्दी इलाज क्यों ज़रूरी होता है।
श्रीमती साक्षी को यह चोट उस वक्त लगी जब वह ऑटो से उतरते हुए फिसल गईं और उनके हाथ पर नुकीली चीज़ लग गई। चोट इतनी गहरी थी कि मौके पर ही काफी खून बह गया। आसपास मौजूद लोगों ने किसी तरह खून बहना रोका और उन्हें तुरंत अस्पताल लाया गया।
अस्पताल के इमरजेंसी में पहुंचते ही डॉक्टरों की टीम ने जांच शुरू की। हाथ में सूजन थी, उंगलियों की नब्ज नहीं चल रही थी और हाथ पीला पड़ रहा था, जो ये बताता था कि खून सही से हाथ तक नहीं पहुंच पा रहा है। हालत को गंभीर मानते हुए सीनियर सर्जन डॉ. बालकिशन गुप्ता और उनकी टीम ने तुरंत ऑपरेशन का फैसला लिया।
डॉ. बालकिशन गुप्ता, ग्रुप डायरेक्टर – सर्जिकल डिपार्टमेंट, यथार्थ अस्पताल, फरीदाबाद ने बताया, “ऐसी स्थिति में हर मिनट अहम होता है। हाथ की खून की नली बंद हो जाए तो अगर समय पर इलाज न हो, तो हाथ की जान भी जा सकती है। हमारी टीम ने जल्दी फैसला लेकर ऑपरेशन किया और खून का बहाव फिर से शुरू कर दिया।”
जांच में पता चला कि हाथ की एक मुख्य नस, रेडियल आर्टरी, चोट की वजह से ब्लॉक हो गई थी। ऑपरेशन के दौरान उस नस को साफ कर दोबारा खोल दिया गया, जिससे खून हाथ तक दोबारा पहुंचने लगा। सर्जरी सफल रही और हाथ पूरी तरह सुरक्षित रहा।
ऑपरेशन के बाद मरीज़ की हालत जल्दी सुधरी। दर्द कम हुआ, हाथ का रंग सामान्य हुआ और उंगलियों में हरकत भी वापस आने लगी। अब मरीज़ निगरानी में हैं और जल्द ही फिजियोथेरेपी शुरू की जाएगी ताकि हाथ दोबारा पूरी तरह काम कर सके। डॉक्टरों का कहना है कि आगे चलकर हाथ की ताकत और इस्तेमाल पहले की तरह हो पाएगा।
यह घटना हमें बताती है कि रोज़मर्रा की छोटी लगने वाली चोटें भी गंभीर हो सकती हैं, खासकर अगर नसों के पास लगी हों। अगर चोट के बाद हाथ या पैर सुन्न लगे, सूजन हो, रंग बदल जाए या नब्ज न चले, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। समय रहते इलाज से अंग को बचाया जा सकता है।
ऐसे मामलों में सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि अस्पताल में सही सुविधा हो, डॉक्टर का अनुभव हो और फैसला तुरंत लिया जाए। जैसे-जैसे हादसों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे ऐसे ट्रॉमा मामलों से निपटने की तैयारी भी ज़रूरी होती जा रही है।
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