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मानव रचना में छात्र कल्याण की ओर से “विकसित भारत 2047” थीम पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 15 फरवरी। मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज में स्टूडेंट्स वेलफेयर की ओर से विकसित भारत-2047 थीम पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के निर्देशानुसार कराए गए इस कार्यक्रम का विषय, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के युग में रचनात्मकता रहा। संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता एडोब इंडिया और एशिया पैसिफिक में कौशल और शिक्षा प्रमुख गरिमा बब्बर शामिल हुईं और उन्होंने विषय पर विस्तार से चर्चा की।

विषय पर चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता ने समकालीन शिक्षा व्यवस्था के संदर्भ में रचनात्मकता में जरूरी बदलावों और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ इसके समावेश पर प्रकाश डाला। एडोब में अपने व्यापक अनुभव के आधार पर उन्होंने तर्क दिए कि किस तरह मानवीय रचनात्मकता तकनीकी प्रगति के साथ मिलकर बेहतर परिणाम देती है। उन्होंने रचनात्मक सोच के महत्व और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में इसकी शक्ति पर भी विचार रखे।

एआई की भूमिका पर आगे चर्चा करते हुए संवाद में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कैसे एआई प्रौद्योगिकियां रचनात्मक साझेदार के तौर पर कार्य करते हुए मानवीय क्षमताओं को बढ़ा सकती हैं। साथ ही  शिक्षा व विकास के विभिन्न क्षेत्रों में अभिव्यक्ति के नए आयामों को सुविधाजनक बना सकती हैं। इस बात पर भी जोर दिया गया कि रचनात्मकता और प्रौद्योगिकी के साथ शिक्षा को बेहतर बनाया जा सकता है। मुख्य वक्ता ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों को पारंपरिक रचनात्मक कौशल के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल को नेविगेट करने का कौशल भी सिखाना चाहिए। साथ ही उन्होंने शिक्षा और उद्योगों के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया ताकि शैक्षिक कार्यक्रम रचनात्मक कार्य बल की उभरती जरूरतों के अनुरूप हो सकें।

मौके पर डीन ऑफ एकेडमिक्स डॉ. ब्रिजेश कुमार, स्कूल ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशंस डीन व करियर डेवलपमेंट सेंटर निदेशक डॉ. हनु भारद्वाज,स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की  एसोसिएट डीन  डॉ. गीता निझावन, छात्र कल्याण डीन डॉ. गुरजीत कौर चावला, उप निदेशक  छात्र कल्याण डॉ. पूजा खुराना सहित विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संस्थान से कुल 300 से ज्यादा सदस्यों और छात्रों ने भाग लिया।

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