Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय, फरीदाबाद ने जी.जी.डी.एस.डी कॉलेज, पलवल के साथ मिलकर ’ऑर्गेनिक फॉर्मिंग- एन ऑपोर्चुनिटी फॉर रूरल एंटरप्रेनुएरशिप’ विषय पर वेबिनार का आयोजन करवाया। वेबिनार समन्वयकर्ता मैडम स्वेता वर्मा ने वेबिनार के मुख्य वक्ता सेंचुरियन यूनिवर्सिटी, उड़िसा के एम.एस स्वामीनाथन स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर में डीन व् प्रोफेसर रहे विशाल सिंह और गेस्ट ऑफ़ ऑनर, जी.जी.डी.एस.डी कॉलेज, पलवल में एसोसिएट प्रोफसर के तौर पर कार्यरत एस.एस सैनी से सभी का परिचय करवाया।
महाविद्यालय प्रधानाचार्या डॉ. सविता भगत ने विशिष्ट वक्ताओं व् सभी प्रतिभागियों के स्वागत वक्तव्य के साथ वेबिनार की आधारशिला रखी। डॉ. भगत ने बताया कि ऑर्गनिक फॉर्मिंग उत्पाद विटामिन्स, एंज़ाइम्स, मिनरल्स के साथ-साथ माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स से भी भरपूर होते हैं। परंपरागत कृषि जिसने कभी ग्रीन रेवोलुशन का उद्भव किया था आज ना तो उतने अच्छे कृषि उत्पाद दे पा रही है और ना ही किसानों के लिए अच्छे लाभकारी व्यवसाय का जरिया रह गई है। परंपरागत कृषि, हानिकारक रसायनों के छिड़काव के चलते, अपने उत्पादों से ना केवल पोषक तत्वों की कमी से जूझ रही है बल्कि कैंसर जैसी खतरनाक बिमारियों की जनक भी बन रही है।
वेबिनार संयोजक व् डी.ए.वी शताब्दी महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ.डी.पी वैद ने बताया कि जिन लोगों के ऑर्गनिक कृषि उत्पादों को चखा है उन सभी ने इस बात को प्रमाणित किया है कि इन उत्पादों में एक प्राकृतिक व् ज्यादा अच्छा स्वाद मौजूद होता है। इसका श्रेय उचित प्रकार से तैयार की गई व् पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी को जाता है। ऑरगेनिक फार्मिंग अपनाने वाले किसान ज्यादा की बजाय बेहतर गुण्वत्ता को महत्व देते हैं।
ग्राम समृद्धि ट्रस्ट के सह-संस्थापक, विशाल सिंह ने बताया कि गाँवों के युवाओं को स्वयं रोजगारोन्मुख बनाने व् ग्रामीणों को ऑर्गेनिक फॉर्मिंग से जोड़ने के लिए उन्होंने अपनी प्रोफेसर की नौकरी को छोड़ दिया। उन्होंने लैब-टू-लैंड की बजाय लैंड-टू-लैब को तरजीह देने को श्रेष्टकर समझा। उन्होंने अलग-अलग गांवों के युवाओं और ग्रामीणों को अपनी इस मुहीम से जोड़ा व् उन्हें रूरल एंटरप्रेनुएर बनने में मदद की। लोगों को मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित किया बल्कि उन्हें यह भी समझाया कि कम दामों पर अपनी मशरूम फसल बचने के बजाय उसका पाउडर बनाया जा सकता है। यह पाउडर न केवल नुट्रिएंट्स से भरपूर होता है बल्कि इससे नूडल्स, पापड़ जैसे बढ़िया कमाई के उत्पाद भी तैयार किये जा सकते हैं। उन्होंने दिव्यांग लोगों को भी इस तरह से रोजगार सक्षम बनाने में मदद की है। ऐसा ही एक उदाहरण उन्होंने नारियल की खेती से जुड़े युवाओं को दिया जिससे आज वे नारियल के तेल उत्पादन के तरीके को समझ गए हैं और उन्होंने अपने इस कार्य को ‘इनोवेटिव स्टार्टअप’ केटेगरी में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन भी कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा ही अगर कॉलेज का कोई भी युवा उनसे जुड़कर ना केवल आर्गेनिक फार्मिंग के बारे में जानकारी ले सकता है बल्कि अपने स्टार्टअप में मदद भी ले सकता है।
डॉ. एस.एस सैनी ने बताया कि उन्होंने स्वयं अपने खेतों ले लिए हिसार यूनिवर्सिटी जाकर अपने साथी से ऑर्गेनिक फार्मिंग को अच्छे से समझा और अब वो अपने खेतों में केवल आर्गेनिक पद्धति से ही खेती करते हैं। आर्गेनिक खेती अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ मिटटी, पौधों, जीवों व् पृथ्वी को भी लाभ पहुँचाते हैं। यही वो जरिया है जिसके माध्यम से लोगों को रसायन मुक्त, प्रदुषण मुक्त व् नुट्रिशन्स से भरपूर खाद्य पदार्थ मिलते हैं।
अंत में वेबिनार संयोजक डॉ. सुमन तनेजा ने सभी वक्ताओं व् प्रतिभागियों को इस वेबिनार का हिस्सा बनने पर उनका आभार व्यक्त किया। इस वेबिनार का आयोजन महाविद्यालय की प्रधानाचार्या एवं संगोष्ठी संरक्षक डॉ. सविता भगत के प्रेरक दिशा निर्देशन में किया गया। प्रतिभागियों ने जूम प्लेटफॉर्म के माध्यम से इसका प्रसारण देखा व् अपने प्रश्नों के उत्तर भी मुख्य वक्ता से इंटरएक्टिव तरीके से जाने।