Faridabad NCR
फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए किसानों को प्रशासन द्वारा किया जाएगा जागरूक : उपायुक्त विक्रम सिंह
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 06 अगस्त। सीएक्यूएम के चेयरपर्सन डॉ. एमपी शुक्ला ने कहा कि धान फसल की कटाई के दौरान किसानों द्वारा धान की पराली जलाने पूर्णतया पाबंदी सुनिश्चित करें। टेक्निकल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग/सीएक्यूएम के चेयरपर्सन डॉ. एम पी शुक्ला और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक राजनारायण कौशिक ने आज मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला के सभी उपायुक्तों को जरूरी निर्देश दिए।
विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के उपरांत उपायुक्त विक्रम सिंह ने कहा कि धान की पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को जागरूक करके प्रशासन द्वारा किसानों की हर संभव सहायता की जाएगी। वहीं जिला में ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक निगरानी टीमें बनाई जाएंगी। जिला में धान की कटाई के दौरान पराली जलाने की घटनाएं रोकने और किसानों की जागरूकता के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को रोकने व किसानों का जागरूक करने हेतु गांव, खण्ड, उपमंडल एवं जिला स्तर पर कृषि, राजस्व व पंचायत विभाग के अधिकारियों की टीमें बनाकर किसान को समझाने के बाद भी पराली में आग लगाया तो उसके खिलाफ जुर्माना लगाने के अतिरिक्त कानूनी कार्यवाही भी अमल में लाई जाएगी।
उपायुक्त विक्रम सिंह ने कहा कि जिला के कॉलेज और अन्य सरकारी/प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों के साथ कोर्डिनेशन करके किसानों के लिए विभिन्न जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से पराली प्रबंधन के लिए रैली व अन्य माध्यमों से जागरूक किया जाएगा। यदि कोई किसान हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रिएम.बी. प्लो, जीरो ट्रिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन, रोटावेटर, डिस्क हैरो, बेलर आदी कृषि यंत्रों से फसल अवशेषों का प्रबंधन करता है, तो सरकार की तरफ से 1000 रुपए प्रति एकड़ अनुदान का प्रावधान है तथा गौशाला आयोग के साथ पंजीकृत कोई गौशाला धान की पराली की गांठ खरीद कर अपनी गौशाला में उपयोग करते है, तो गौशालाओं को भी 500 रुपए प्रति एकड़, अधिकतम 15000 रुपए यातायात खर्च के एवज में अनुदान का प्रावधान है। उन्होंने आगे बताया कि किसान इस स्कीम का लाभ लेने के लिए कृषि विभाग की वेबसाइट एग्रीहरियाणा.जीओवी.इन पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उन्होने बताया कि जो इंडस्ट्री धान की पराली का उपयोग करती है वो भी पैडी स्ट्रा सप्लाई चैन प्रोजेक्ट लगाने के लिए उपरोक्त विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
बता दें कि धान की पराली में आगजनी की घटनाओं में विशेष निगरानी के लिए हरसेक द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से किसानों के खेतों में नजर रखी जाती है। जैसे ही कोई किसान धान की पराली जलाया उसकी जीपीएस लोकेशन हरसेक द्वारा कृषि विभाग को भेज दी जाती है। इस पर सम्बन्धित गांव स्तरिय टीम तुरन्त पहुंच कर सम्बन्धित किसान के खिलाफ उचित कार्यवाही की जाती।