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Faridabad NCR

ट्रेसिंग पेपर पर काम शुरू करने वाली पश्चिम बंगाल की अंजूमनारा बेगम महिला सशक्तिकरण की बनी मिसाल

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 22 फरवरी। पश्चिम बंगाल के जिला पूर्बा बर्धमान के गांव ब्रह्मांडीही निवासी अंजुमनारा बेगम महिला सशक्तिकरण की  मिसाल बनकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को साकार कर रही हैं। वर्ष 2002 में करीब 17 साल की उम्र में पटना में आयोजित हुई हस्तशिल्प प्रदर्शनी में बुनकारी की कारीगरी से मिले सम्मान से अंजुमनारा को प्रोत्साहन मिला और फिर अपनी माता की राह पर चलते हुए उसने खादी कपड़ों के कारोबार को ही अपना व्यवसाय बना लिया। उनके बनाए हुए कपड़े केवल भारत में ही नहीं, अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, ईरान, ईराक आदि देशों में भी निर्यात किए जा रहे हैं। सूरजकुंड मेले में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलने पर वह गौरवान्वित महसूस कर रही है।
अपने गांव में अंजुमनारा बेगम ने 10 महिलाओं को साथ जोडक़र महिलाओं के कपड़े, बेडशीट, वॉल हैंगिंग, कुर्ती, जाकेट, कपड़े से बने सजावट समान बेचने का काम शुरू किया था। अंजुमुनारा बेगम ने बताया कि उसने 13 साल पहले ग्रामीण बैंक से 10 हजार रुपए का लोन लेकर ट्रेसिंग पेपर व फ्रेम पर सुई धागा से कढ़ाई का काम शुरू किया था। उसने इस लोन की किस्त समय पर चुकाई और 25 हजार रुपए का फिर लोन ले लिया। उसके पश्चात लोन की अदायगी कर और 50 हजार रुपए का लोन लिया तथा अपने काम को आगे बढ़ाया। वर्ष 2009 में खादी ग्रामोद्योग से उसे पांच लाख रुपए का बड़ा लोन मिला, जिससे उसके आत्मविश्वास में वृद्धि होने के साथ-साथ व्यवसाय को भी गति मिली। आज करीब 41 साल की यह महिला धनलक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की स्थापना कर आत्म निर्भरता में अपने व आसपास के गांवों की 450 महिलाओं के लिए एक लीडर कारोबारी का काम कर रही हैं।
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एक हजार से 60 हजार रुपए तक की हैं बेडशीट

अंजुमुनारा बेगम ने बताया कि वह बहुत ही सुंदर बेडशीट बनाती है, जिनकी कीमत एक हजार रुपए से लेकर 60 हजार रुपए तक है। बेडशीट पर उसने राम-सीता का पूरा जीवन दर्शाया हुआ है, जिसकी बहुत डिमांड रहती है। उनके समूह की महिलाएं कॉटन और सिल्क की साड़ी, चुन्नी, कुर्ती, सूट, कुर्ता, स्टाल और ब्लाउज बनाने का काम करती हैं। उनकी कढ़ाई की हुई साड़ी, कुर्ती और सूट महिलाओं को देखते ही पसंद आते हैं। उसने बताया कि उसकी बनाई गई वॉल हैंगिंग की कीमत एक लाख रुपए तक है। इस पर बेहद बारीक कारीगरी का काम होता है और एक डिजाइन तैयार करने में सात महीने तक का समय लग जाता है।
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सूरजकुंड शिल्प मेले में आने से जानी देश और दुनिया की संस्कृति

अंजुमनारा ने बताया कि हरियाणा का बहुत नाम सुना था। सूरजकुंड शिल्प मेले में आना उनके लिए एक सुनहरा अवसर रहा है। यहां आने से देशभर की संस्कृति को जानने का अवसर मिला। यह मेला भारत की विविध संस्कृति का संगम है। यहां आना एक तरह से त्यौहार मनाने जैसा रहा है। सूरजकुंड आना हमेशा याद रहेगा। उसने इस शानदार आयोजन के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व हरियाणा सरकार का आभार जताया है।

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