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अस्थमा हमारी छाती में सांस की नलियों की बीमारी है : डॉ. गुरमीत सिंह छाबरा

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : विश्व स्तर पर अस्थमा से बचाव और रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल ‘विश्व अस्थमा दिवस’ मनाया जाता है। इस बार विश्व अस्थमा दिवस 7 मई को मनाया रहा है। इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद से श्वास रोग विभाग के डायरेक्टर डॉ. गुरमीत सिंह छाबरा ने कहा कि ब्रोन्कियल अस्थमा हमारी छाती में सांस की नलियों की बीमारी है। अगर हमारी साँस की नलियों की अन्दर की स्किन में सूजन हो और ऐसे में अस्थमा को बढ़ाने वाले कारक जैसे हवा में मौजूद पॉलेन (पराग), धूल-मिटटी या फफूंद इस स्किन के संपर्क में आते हैं तो इससे साँस की नलियों में सिकुडन बन जाती है। वहां बलगम बनने लगता है और साँस की नलियों की मांसपेशियां भी सिकुड़ने लगती हैं। जिससे मरीज को साँस लेने में तकलीफ होने लगती है। फिर छाती में से सांय-सांय की आवाज भी आने लगती है। यह बीमारी आमतौर पर आनुवंशिक होती है। अगर गर्भवती महिला स्मोकिंग करती है तो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी भविष्य में अस्थमा का जोखिम बढ़ सकता है। किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा स्मोकिंग करने पर निकलने वाले धुएं के संपर्क से भी बच्चों को अस्थमा का खतरा हो सकता है। रोजाना ओपीडी में 30-40 प्रतिशत मरीज अस्थमा के होते हैं, इनमें जवान लोग और बच्चे ज्यादा होते हैं। आमतौर पर बुजुर्ग लोगों में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। आजकल अस्थमा के मरीज बढ़ रहे हैं क्योंकि बैशाख के मौसम में पेड़ों के पॉलेन (पराग) बढ़ जाते हैं। अस्थमा उन लोगों में ज्यादा गंभीर हो सकता है जो अस्थमा मरीज अपनी दवाइयां ठीक से नहीं लेते हैं। अनियंत्रित अस्थमा में मौसम के बदलाव से भी मरीज को साँस का अटैक पड़ सकता है। अगर किसी व्यक्ति को अस्थमा को जोखिम ज्यादा है और वह फ्लू के वायरस से संक्रमित हुआ है तो उसे भी अस्थमा का अटैक आ सकता है क्योंकि फ्लू का इन्फेक्शन सीधा साँस की नलियों को प्रभावित करता है। अगर यह मरीज कोरोना, फ्लू का वैक्सीन ले चुका है तो उसमें अस्थमा के गंभीर होने की संभावना कम हो जाती है।

सलाह: जिन लोगों या बच्चों को अस्थमा का खतरा ज्यादा है, वे घर के अन्दर रहें। घर के दरवाजे एवं खिड़की बंद करके रखें क्योंकि मौजूदा मौसम में हवा में पॉलेन (पराग) ज्यादा बढ़ रहे हैं। अगर आपको घर में पालतू पशु से भी एलर्जी होती है तो उससे दूर रहें। घर से बाहर निकलने के दौरान फेस मास्क का इस्तेमाल करें। बाहर से घर में आने के बाद स्नान करें और अपने कपड़ों को को बदल देना चाहिए क्योंकि आपके कपड़ों, स्किन पर पॉलेन (पराग) हो सकता है जिससे आपकी अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है। वैक्सीन लगवाएं। अपनी दवा समय पर लेते रहें। समय-समय पर डॉक्टर की सलाह अनुसार पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट भी करा सकते हैं।

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