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Faridabad NCR

फरीदाबाद साइबर पुलिस की बड़ी कामयाबी, फर्जी कॉलसेंटर के माध्यम से बजाज फिनसर्व कंपनी के अधिकारी बनकर लोगों के साथ साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह के तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : डीसीपी हेडक्वार्टर नीतीश अग्रवाल के दिशा निर्देश के तहत कार्य करते हुए साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बसंत की टीम ने साइबर ठगों के गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए फर्जी कॉलसेंटर चलाने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम आरोपियों का नाम गौरव, अभिषेक कथा पवन है जो दिल्ली के रहने वाले हैं। इस मामले में अभी एक आरोपी फरार चल रहा है जिसे जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आजकल के महंगाई के दौर में आमजन कोई भी नया सामान लेने के लिए पूरे पैसे एक साथ अदा करना बहुत मुश्किल होता है इसीलिए नागरिकों की इस समस्या का हल करने के लिए बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की जाती है ताकि इसका उपयोग करके नागरिक सामान खरीद सकें और पूरे पैसे एक साथ न भरकर इसका भुगतान किस्तों में कर सकें जिसे EMI (equated monthly installment) का नाम दिया जाता है। इसी प्रकार की ईएमआई की सुविधा बजाज कंपनी की एक शाखा बजाज फिनसर्व द्वारा प्रदान की जाती है। इस कार्ड को बनवाने के लिए पहले बहुत अधिक कागजी कार्रवाई करनी पड़ती थी परंतु आजकल के डिजिटल युग में सारा काम फोन के जरिए ही पूरा कर लिया जाता है। बैंक अधिकारी या इस प्रकार के ईएमआई कार्ड प्रदान करने वाली कंपनी के कर्मचारी नागरिकों को फोन पर यह सुविधा उपलब्ध करवाते हैं ताकि नागरिकों को यह कार्ड बनवाने में ज्यादा परेशानी का सामना ना करना पड़े परंतु कुछ लोग इसका गलत फायदा उठा कर नागरिकों को फर्जी कॉल करते हैं और उन्हें साइबर ठगी का शिकार बनाकर उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं।

इसी प्रकार के एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ फरीदाबाद पुलिस के साइबर थाना की टीम द्वारा किया गया है। गिरफ्तार किए गए यह आरोपी कोटक बैंक में रिकवरी एजेंट के तौर पर काम करते हैं जिनके पास कोटक बैंक के क्रेडिट कार्ड धारकों के फोन नंबर भी उपलब्ध होते थे। यह आरोपी क्रेडिट कार्ड धारकों को फोन करके बजाज कंपनी के एमआई कार्ड पर उपलब्ध लुभावने ऑफर्स का लालच देते थे। जब सामने वाला व्यक्ति यह ईएमआई कार्ड बनवाने के लिए तैयार हो जाता था तो वह उस व्यक्ति को एक लिंक भेजते थे जिसे खोलने पर वह बिल्कुल बजाज कंपनी की वेबसाइट जैसा प्रतीत होता था परंतु वह असली न होकर एक फर्जी वेबसाइट होती थी। यह वेबसाइट खोलने के पश्चात आरोपी उस व्यक्ति को उसके क्रेडिट कार्ड का नंबर, एक्सपायरी डेट, सीवीवी कोड, उसके घर का पता तथा मोबाइल नंबर इत्यादि भरवाद लेते थे जिसकी वजह से क्रेडिट कार्ड धारक की सारी जानकारी आरोपियों के पास पहुंच जाती थी। इसके पश्चात आरोपी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड की स्टेटमेंट भी मंगवा लेते थे जिससे उन्हें क्रेडिट कार्ड में बची हुई लिमिट का पता चल जाता था कि इस कार्ड में से अभी कितने रुपए की खरीदारी की जा सकती है। क्रेडिट लिमिट पता चलने के पश्चात आरोपी 99acres.com वेबसाइट पर जाते थे जहां पर आरोपियों ने एक फर्जी अकाउंट बना रखा था और उस वेबसाइट पर रेंट भरने के लिए उस व्यक्ति का क्रेडिट कार्ड उपयोग करते थे जिसकी जानकारी उनके पास पहुंच चुकी होती थी। वेबसाइट पर की गई ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए कार्डधारक के पास एक ओटीपी जाता था जो आरोपी उस व्यक्ति को बहला-फुसलाकर उससे पूछ लेते थे और ओटीपी मिलते ही क्रेडिट कार्ड में बची हुई लिमिट तक का सारा पैसा उस वेबसाइट के वॉलेट में चला जाता था। उस वेबसाइट से आरोपी सारा पैसा अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते थे। इसी प्रकार कि साइबर ठगी का तरीका अपनाते हुए आरोपियों ने फरीदाबाद के रहने वाले सेक्टर 7 निवासी कवीश को अपने झांसे में लेकर ₹121401 हड़प लिए। कविश ने इसकी शिकायत साइबर थाना फरीदाबाद में दर्ज करवाई जिसके पश्चात अज्ञात आरोपियों के खिलाफ षड्यंत्र तथा धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की गई।

डीसीपी हेडक्वार्टर नीतीश अग्रवाल के दिशा निर्देश अनुसार इस मामले की जांच के लिए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बसंत के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया जिसमें एएसआई भूपेंद्र, नरेंद्र व नीरज, प्रधान सिपाही अंजू, सिपाही संदीप, आजाद, अमित तथा अंशुल का नाम शामिल था। एसआई भूपेंद्र ने सूझबूझ का परिचय देते हुए शिकायत मिलते ही सबसे पहले 99acres के लीगल हेड से संपर्क करके की गई ट्रांजैक्शन को फ्रीज करवाया जिसकी वजह से क्रेडिट कार्ड से ट्रांसफर किए गए पैसे उसी वेबसाइट में अटक गए और आरोपियों के खाते तक नहीं पहुंच पाए। इसके पश्चात साइबर थाना की टीम आरोपियों की तलाश में जुट गई और दिनांक 28 मार्च को गुप्त सूत्रों व तकनीकी की सहायता से दिल्ली के तिलक नगर में चलाए जा रहे फर्जी कॉल सेंटर से आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों के कब्जे से वारदात में प्रयोग दो मोबाइल फोन तथा ₹145000 बरामद किए गए। अगले दिन आरोपियों को अदालत में पेश किया गया जहां से आरोपी अभिषेक को जेल भेज दिया गया तथा आरोपी गौरव और पवन को 4 दिन के पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की गई। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि इस कॉल सेंटर का मालिक आरोपी गौरव है और वह पिछले करीब 8 महीने से यह साइबर ठगी का धंधा कर रहे हैं। आरोपियों ने बताया कि आरोपी अभिषेक लोगों को फोन करता था तथा उन्हें लालच देकर बजाज ईएमआई कार्ड बनवाने के लिए राजी करता था। जब वह व्यक्ति ईएमआई कार्ड बनवाने के लिए राजी हो जाता था तो इसके पश्चात आरोपी पवन उस व्यक्ति को फोन पर फर्जी बजाज कंपनी की वेबसाइट का लिंक भेजता था जिसमें कार्डधारक अपने क्रेडिट कार्ड की सारी डिटेल भर देता था और उसकी सहायता से आरोपी उस व्यक्ति के साथ साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे देते थे। साइबर ठगी की वारदातों से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई प्रोजेक्ट ic4 की रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों द्वारा प्रयोग किए गए मोबाइल और सिम कार्ड के आधार पर पता चला कि आरोपी पूरे देश भर में साइबर ठगी की 86 वारदातों को अंजाम दे चुके हैं और इसमें आरोपियों द्वारा 59 मोबाइल प्रयोग में लिए गए हैं। पुलिस रिमांड पूरा होने के पश्चात आरोपियों को अदालत में दोबारा पेश किया गया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है तथा इस मामले में फरार चल रहे उनके चौथे साथी की पुलिस द्वारा तलाश की जा रही है जिसे जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।

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