Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 28 अक्टूबर। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल में जिले के पहले स्ट्रोक आईसीयू का शुभारंभ किया गया। जिसका उद्धाटन शनिवार को सीएमओ डॉ. विनय गुप्ता ने किया। उन्होंने कहा कि इससे ब्रेन स्ट्रोक और पैरालाइसिस के मरीजों को मिलेगा बेहतर उपचार मिल सकेगा। इस नई तरह की सुविधा के लिए उन्हाेंने अस्पताल चेयरमैन डॉ. प्रबल रॉय और न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट चेयरमैन डॉ. रोहित गुप्ता सहित पूरी टीम को बधाई दी। डाॅ. प्रबल ने कहा कि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में यह प्रयास है। अभी कई तरह की और अत्याधुनिक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
शहर के वरिष्ठ न्यूरोलजिस्ट डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि देश में हर साल लगभग 18 लाख लोग ब्रेन स्ट्रोक की समस्या का सामना करते हैं। भारत में पिछले 10 साल में स्ट्रोक के केस डबल हो गए है। यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। सभी अस्पतालों में हार्ट अटैक के मरीजों अलग से कार्डियक आईसीयू की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जिसमें हार्ट अटैक के मरीजों का तुरंत उपचार शुरु कर दिया जाता है, जल्द स्वस्थ भी रहे हैं। अस्पतालों में स्ट्रोक के मरीजों के अभी तक अलग आईसीयू की सुविधा नहीं है। स्ट्रोक के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए एकॉर्ड ने ऐसे मरीजों के लिए अगल आईसीयू की सुविधा उपलब्ध कराई है। जिसमें मरीजों की रिकवरी जल्द हो सकेगी।
कार्यक्रम में उपस्थित कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. ऋषि गुप्ता ने बताया कि स्ट्रोक या दिमाग का दौरा देश में दिल का दौरा और कैंसर के बाद मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। विकलांगता का भी इसे प्रमुख कारण माना जाता है। फरीदाबाद में युवाओं में स्ट्रोक की समस्या तेजी से बढ़ रही है। भागदौड़ भरी लाइफ में व्यक्ति आज अपने सुकून को खोता जा रहा है। तनाव के इस दौर में व्यक्ति को इसका पता भी नहीं चल पा रहा है कि पीछे दरवाजे से कई तरह की बीमारियों उसे अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। डॉ. संदीप घोष ने कहा कि स्ट्रोक की मुख्य वजह स्ट्रेसफुल लाइफ और धूम्रपान, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, है। डॉ. मेघा शारदा ने कहा कि ऑफिस में लोग अपने काम को अगले दिन के लिए छोड़ देते है। इससे काम का बोझ बढ़ता जाता है। जिस कारण धीरे-धीरे वह तनाव से ग्रसित हो जाते है। तनाव की वजह से ही इन बीमारियों के अलावा पैरालाइसिस ( लकवा ) भी आम इंसान को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। ब्रेन स्ट्रोक उस समय पड़ता है, जब मस्तिष्क की किसी नस में खून का थक्का (क्लॉट) बन जाता है। नई तकनीक मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से अब 24 घंटे के अंदर ब्रेन स्ट्रोक के मरीज का इलाज किया जा सकता है। आईसीयू इंचार्ज डॉ. संदीप भट्टाचार्य ने कहा स्ट्रोक आईसीयू में मरीज की रिकवरी फास्ट होगी। साथ ही बेहतर केयर मिल सकेगी।