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Faridabad NCR

प्रकृति का संरक्षण हमारी संस्कृति का हिस्साः कुलपति प्रो. तोमर

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 27 जुलाई। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने आज कहा कि प्रकृति का संरक्षण हमारी संस्कृति का हिस्सा रही है और इसकी जड़े संस्कृति में बहुत गहरी हैं। ऐसे सैकड़ों पेड़ हैं जिन्हें पवित्र माना जाता है और हमें प्रकृति को संरक्षित करने के लिए इस संस्कृति को बनाए रखना चाहिए।
प्रो. तोमर विश्वविद्यालय द्वारा हरियाली पर्व के तहत महीने भर चलने वाले पौधारोपण अभियान को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और विश्व प्रकाश मिशन चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन श्री राकेश सेठी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। उल्लेखनीय है कि हरियाली पर्व को चिह्नित करने के लिए, विश्वविद्यालय द्वारा पौधारोपण अभियान शुरू किया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिष्ठित हस्तियों को पौधारोपण अभियान में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय आगमन पर प्रो. तोमर ने श्री सेठी को पौधा भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग, एनएसएस समन्वयक प्रो प्रदीप डिमारी, पर्यावरण इंजीनियरिंग की अध्यक्ष डॉ रेणुका गुप्ता, डिप्टी डीन डाॅ. अनुराधा पिल्लई, डाॅ. हरीश कुमार और डीएसडब्ल्यू कार्यालय एवं वसुंधरा ईसीओ क्लब के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री राकेश सेठी ने पौधारोपण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की। श्री सेठी, जो गरीब परिवारों के मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर उनकी शिक्षा में योगदान दे रहे हैं, ने कहा कि विश्वविद्यालय ने हमेशा जरूरतमंद छात्रों तक पहुंचने के उनके मिशन को पूरा करने में उनकी मदद की है। विश्व प्रकाश मिशन ने अब तक 250 छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसमें से 65 छात्र जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के हैं। उन्होंने ऐसे छात्रों की सफलता की कहानी भी साझा की, जिन्होंने बाधाओं को पार करते हुए अकादमिक उत्कृष्टता हासिल की।
कुलपति प्रो. तोमर ने सामाजिक सरोकार के लिए कार्यरत श्री सेठी और उनके मिशन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से श्री सेठी जी ने एक सामाजिक कार्य का बेड़ा उठाया और इसके लिए लगन से काम कर रहा है और अच्छे परिणाम प्राप्त कर रहा है, इसी तरह अगर हम प्रकृति की रक्षा के लिए सामूहिक रूप से सहभागिता करें तो हम निश्चित रूप से एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

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