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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : भाजपा में भ्रष्टाचारियों को सम्मानित किया जाता है। उक्त वाक्य छात्र नेता एवं युवा कांग्रेस हरियाणा के प्रदेश महासचिव कृष्ण अत्री ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहे।
छात्र नेता एवं युवा कांग्रेस हरियाणा के प्रदेश महासचिव कृष्ण अत्री ने हरियाणा की नायब सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जबसे भाजपा हरियाणा में आई है तभी से भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद है क्योंकि उन्हें पता है कि जितना बड़ा घोटाला करेंगे भाजपा सरकार की तरफ से उतना ही बड़ा ईनाम मिलेगा। कृष्ण अत्री ने बताया कि उन्होंने 21 अक्टूबर 2024 को आरटीआई लगाई थी जिसके प्रतिउत्तर में पता लगा था कि पंडित जवाहर लाल नेहरू महाविद्यालय में लाखो रुपये का गबन किया है और इसकी शिकायत उन्होंने 19 दिसंबर 2024 को महामहिम राज्यपाल महोदय, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, मंत्री विपुल गोयल, एंटी करप्शन ब्यूरो, लोकायुक्त समेत आला अधिकारियो से करके इस मामले में जांच की मांग की थी। मांग करने के बाद 3 जनवरी 2025 को इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने संज्ञान लिया था। इसके बाद उन्हें पता चला कि इस मामले में जांच उच्च शिक्षा जिला अधिकारी द्वारा की जा रही है और जिसकी संपूर्ण जानकारी लेने के लिए फिर से आरटीआई लगाई और उसमें खुलासा हुआ कि जो भी आरोप कृष्ण अत्री ने 19 दिसंबर 2024 को शिकायत में लगाए थे वो सभी आरोप उच्च शिक्षा जिला अधिकारी की जांच में भी साबित हो चुके थे। कृष्ण अत्री ने बताया कि उस जांच में माना गया है कि छात्रों से वसूल किये गये फाइन में बहुत गड़बड़ मिली है। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 5400 विद्यार्थियों से फाइन लिया जाना था लेकिन कितने छात्रों से फाइन लिया गया इसके बारे में कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं है। दूसरा जो कॉलेज का 50 साल पुराना कबाड़ बेचा गया है उसके भी तथ्य कॉलेज में उपलब्ध नही है, किसको कितना बेचा गया है और कितना कबाड़ था। इसके अलावा जो 75000 विक्टोरा कंपनी ने दिये थे वो फंड किसी निजी व्यक्ति के लिए ना देकर पूरे आयोजन में खर्च करने के लिए दिये गये थे। जबकि वह रुपए कहां खर्च किए गए इसका कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि क्लर्क ने बैंक से नगद पैसे निकालकर प्रिंसिपल को दे दिए थे। वहीं कॉलेज में हुए हिंदी सेमिनार में 230 व्यक्तियों पर प्रतिव्यक्ति 250 रुपये के हिसाब से खर्च किये गये है जबकि दिशानिर्देश सिर्फ 120 रुपये खर्च करने का है इस हिसाब से करीब 30000 रुपये का गबन किया गया है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट पाया गया कि क्लर्क और चौकीदार की पुनर्नियुक्ति की गई उसमें भी नियमों का उल्लंघन हुआ है। इतना ही नहीं क्लर्क की नियुक्ति तो 18 जनवरी 2024 को की गई थी जबकि उसे सैलरी 11 जनवरी 2024 से दी गई जिस दिन उसने नौकरी के लिए आवेदन किया था।
इन सभी जांच के चलते हुए भी पूर्व प्राचार्या को तिगांव कॉलेज से वापिस नेहरू कॉलेज स्थानंतरित कर दिया गया। जबकि उनके ऊपर इसी कॉलेज में गबन करने के आरोप लगे थे और एडमिनिस्ट्रेशन ग्राउंड पर उनका ट्रांसफर नेहरू कॉलेज से तिगांव कॉलेज किया था और ट्रांसफर के 5-6 दिन बाद ही उन्हें सस्पेंड भी कर दिया था। सस्पेंड होने के लगभग 4 महीने बाद जब उन्हें बहाल किया गया था तो उन्हें तिगांव कॉलेज में भेजा गया था और साथ ही उनपर चल रही जांच को जारी रखने के लिए बोला गया था। जांच आज तक भी जारी है लेकिन इसी बीच उन्हें फिर से नेहरू कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया जाता है। कृष्ण अत्री ने कहा कि जांच चलने के बावजूद भी आरोपी को इस कॉलेज में ट्रांसफर किया जाना कहीं ना कहीं भाजपा सरकार पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
कृष्ण अत्री ने कहा कि एक तरफ तो भाजपा ईमानदारी का ढोल पीटती है और वही दूसरी तरफ भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों को उनकी मनपसंद का ईनाम देने से भी पीछे नही हटती। भाजपा को या तो ईमानदारी का ढोल नही पीटना चाहिए और अगर पीटना है तो फिर उसको अमल में भी लाना चाहिए।
कृष्ण अत्री ने यह भी कहा कि यदि सरकार गबन करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती है तो वह कोर्ट का सहारा लेंगे लेकिन गरीब व किसान परिवारों के बच्चों का हक उन्हें दिलवा कर रहेंगे।