Faridabad NCR
डीसी विक्रम सिंह ने वार मेमोरियल पर पुष्प अर्पित कर शहीदों को विजय दिवस पर दी श्रद्धांजलि
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 16 दिसम्बर। शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर वर्ष मेले बस एक यही निशां बाकी रहेगा की बात को चरितार्थ करते हुए शनिवार को जिला सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड द्वारा विजय दिवस के सुअवसर पर विजय दिवस समारोह का आयोजन किया गया। यह समारोह फरीदाबाद के वार मेमोरियल कॉम्प्लेक्स सेक्टर-12 में मनाया गया।
जहाँ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपायुक्त विक्रम सिंह उपस्थित रहे। डीसी विक्रम सिंह ने उपस्थित सैनिकों और वीरांगनाओं तथा सैनिकों के सभी परिवार जनों को विजय दिवस की शुभकामनाएं और बधाई दी। उन्होंने वार मेमोरियल में शहीद स्मारक पर शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर पुलिस की टुकड़ी द्वारा मातमी धुन के साथ राइफल झुका कर सलामी देने उपरान्त दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि हमारे देश के जवान रात-दिन देश की सुरक्षा में सीमा पर खड़े हैं, इसी कारण हमारा देश सुरक्षित है और हम निश्चिंत होकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपने वीर जवानों पर गर्व है जो राष्ट्र सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने के लिए भी तैयार रहते हैं।
डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि फरीदाबाद जिला में वार मेमोरियल पूरे प्रदेश में भव्य और आधुनिक सुविधाओं से युक्त बनाया जाएगा। इसके नवीनीकरण कार्य की समीक्षा भी डीसी विक्रम सिंह ने बारीकी से की।
उपायुक्त ने बताया कि 16 दिसंबर 1971 को हमारे वीर सैनिकों ने पाकिस्तान की सेना को युद्ध में पराजित कर विजय प्राप्त की थी और बंगलादेश को पाकिस्तान से आज़ाद करवाया था, इसी कारण हर वर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसलिए 16 दिसंबर 1971 का दिन स्वर्णिम इतिहास में दर्ज हो चुका है। उन्होंने समारोह में उपस्थित युद्ध वीरांगनाओं व वॉर वेटरन्स को सम्मानित भी किया।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, बस एक यही निशा बाकी रहेगा” को सार्थक रूप देते हुए आज विजय दिवस वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर आयोजित शहीद स्मारक सेक्टर-12 स्थित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। विजय दिवस श्रद्धाजंलि समारोह में बड़ी संख्या में भूतपूर्व सैनिकों ने शिरकत की। इस मौके पर युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों को फूल अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई तथा उनके शौर्य वीरता व अदम्य साहस को सराह कर सत सत नमन किया गया।
डीसी विक्रम सिंह ने शहीद स्मारक में प्रर्दशनी हॉल को भी देखा जिसमें हरियाणा के वीर शहीद सैनिकों की गाथा तथा अब तक हुए यादों के इतिहास को बताया गया है। जहां डीसी विक्रम सिंह ने वीरांगनाओं को सम्मानित भी किया।
डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं ये सब इन शहीद सैनिकों की वजह से ले रहे है। जो दुश्मन के मंसूबों को कभी सफल नहीं होने देते बेशक बलिदान ही क्यों ना देना पड़े।
उन्होंने कहा कि विजय दिवस घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों पर भारतीय सैनिकों की जीत के उपलक्ष्य में पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि युद्ध कभी अच्छा नहीं होता। इससे दोनों तरफ बड़ा नुकसान होता है, हजारों सैनिक शहीद हो जाते हैं। भारत एक शांतिप्रिय देश है जो युद्ध में विश्वास नहीं करता है। भारतीय सेना हमेशा विदेशी ताकतों से देश की रक्षा करती है, मातृभूमि के लिए बलिदान देती है और हमें गौरवान्वित करती है। विजय दिवस समारोह के अंत में वीर नारियों/वीरांगनाओं को पुरस्कृत किया गया तथा जय जवान, जय भारत के नारे लगा कर, दो मिनट का मौन धारण करने के साथ समारोह का समापन किया गया युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के बलिदान को याद किया गया। जहां हर साल इस खास दिन पर वीरों को याद किया जाता है। भारत के वीर सैनिकों ने आज के दिन ही पाकिस्तान के घुसपैठियों को धूल चटा दी थी। उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रमाण था। कि भारत की ओर कोई अब आंख उठाकर नहीं देख सकता। तत्कालीन जांबाजों सैनिकों की साहसिक कहानियां सुनी और सुनाई जाती हैं। उसी जीत की याद में हर साल 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विजय युद्ध और शहादत के दिनों को परिवार-पड़ोस के लोगों के साथ इलाके के लोग बहुत गर्व/ फक्र महसूस करते हैं।
शहीद और शहीदों के परिजनों की कोई मानवीय या जिजीविषा से जुड़ी गाथाएँ विजय दिवस का इतिहास:-
विजय दिवस घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ ‘ऑपरेशन: विजय’ में भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का जश्न मनाता है। युद्ध के दौरान अपनी जान की बाजी लगाने वाले शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी जाती है। वर्ष 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद से दोनों देशों के बीच कई कारणों से हमेशा दुश्मनी बनी रही है। इनमें से एक कारण पूर्वी पाकिस्तान को लेकर था। 1971 के युद्ध की घटनाओं ने भारतीय सैनिकों को इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया। पश्चिमी पाकिस्तान में रहने वाले गैर-मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा था और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता थी। पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध 13 दिनों तक चला, जो 16 दिसंबर 1971 को समाप्त हुआ था। परिणामस्वरूप बांग्लादेश के नाम से एक नया देश आजाद हुआ। यह भारत का ही मोर्चा था। जिसने लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण कराया और दुनिया के नक्शे की रूपरेखा बदल दी।
भारतीय सेना के लिए गर्व का क्षण, द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद यह उनकी पहली निर्णायक जीत थी। यह बांग्लादेश के लिए भी काफी बड़ा दिन है, क्योंकि उसने एक स्वतंत्र इकाई के रूप में दर्जा हासिल किया। यह दिन बांग्लादेश में ‘बिजॉय डिबोस’ के रूप में मनाया जाता है।
फरीदाबाद जिला के 1971 भारत-पाक युद्ध के नायक:- फरीदाबाद जिला के 1971 भारत-पाक युद्ध के महान नायकों में श्री राम पाल गांव बदरपुर, श्रीरघुबीर सिंह गांव सोतई, श्री धर्मवीर फरीदाबाद, सदिक गांव नीमका, श्री संदीप अटाली शामिल रहे।
इसी प्रकार अन्य ऑपरेशनोंके महान नायकों में श्री जयभगवान गांव हीरापुर, श्री ऋषभ शर्मा सेक्टर-21, श्री अवध नारायण सिंह, गांव पाली, श्री गोपाल सिंह गांव छांयसा, श्री जगदीश गांव पन्हेड़ा कलां, श्री हर प्रसाद गांव फरीदपुर, श्री जबीर हुसैन गांव सोफ्ता, श्री रामबीर सिंह गांव नवादा शामिल रहे थे।
अन्य भारत पाक संघर्ष के नायकों में श्री ओम प्रकाश, तिगांव, श्री शेर सिंह मोहना, श्री महिपाल सिंह चांदपुर, श्री विक्रम सिंह गांव सुनपेड़ और श्री बलबीर सिंह शामिल रहे थे।
विजय दिवस श्रद्धांजलि समारोह में जिला सैनिक बोर्ड के सेक्रेटरी कैप्टन (नौसेना) रजनीश छाबङी (रि.), स्थानीय एयर फोर्स के कमान अधिकारी ग्रुप कैप्टन कपिल शर्मा, एसीपी सैन्ट्रल राजीव, मेजर जनरल सुधीर दत्त, विशिष्ट मेडल सेवा (रि.), ब्रिगेडियर चन्द्र मुकेश (रि.), कर्नल देवेन्द्र चौधरी (रि.), कर्नल ऋषि पाल, ग्रुप कैप्टन एसके शर्मा, विंग कमांडर सत्येंद्र दुग्गल, ग्रुप कैप्टन सुरजीत सिंह भाटिया, लेफ्टिनेंट यूएस बोरा, कमांडर वीएम त्यागी, डब्ल्यू सी हरिचंद मान, सूबेदार फिरेचंद (रि.), सीपीओ उदय सिंह (रि.), हवलदार धर्म सिंह डागर (रि.), हवलदार करतार सिंह (रि.), नरेश तेवतिया, अनूप चौहान सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी संजय कुमार, सैनिकों के परिजन, एनजीओ तथा वीरांगनाएँ, समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।