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एजीएम की बैठक बुलाने एवं वित्तीय धोखाधड़ी की जांच की मांग पर दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन ने कोटला मैदान के बाहर दिया धरना
New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन ने मंगलवार को ‘डीडीसीए बचाओ आंदोलन’ के तहत फिरोजशाह कोटला मैदान के बाहर धरना दिया। शांतिपूर्ण इस धरने में एसोसिएशन के लगभग दो सौ सदस्यों ने हिस्सा लिया और डीडीसीए के खिलाफ नारेबाजी भी की। धरने को पूर्व रणजी खिलाड़ी और डीडीसीए के पूर्व निदेशक संजय भारद्वाज, क्रिकेट कोच फूलचंद शर्मा, डीडीसीए के आजीवन सदस्य नवीन जिंदल और डीडीसीए के पूर्व स्थायी वकील गौतम दत्ता ने संबोधित किया।
धरने के दौरान एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने डीडीसीए गवर्निंग बॉडी पर कई गंभीर आरोप लगाए। एसोसिएशन ने मांग की है कि आखिर डीडीसीए ने अपने अध्यक्ष रोहन जेटली के नेतृत्व में तय समय, यानी 31 सितंबर, 2022 तक कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत वार्षिक आम बैठक (एजीएम) आयोजित क्यों नहीं की। यह अलग बात है कि डीडीसीए प्रबंधन ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से 31 सितंबर, 2022 तक का समय विस्तार ले लिया है, लेकिन आज तक डीडीसीए ने एजीएम की कोई तारीख तय नहीं की है, जो कंपनी अधिनियम के प्रावधानों का घोर उल्लंघन है। एसोसिएशन ने डीडीसीए के वार्षिक खातों को अंतिम रूप देने में देरी पर भी सवाल उठाए हैं और इसके जरिये वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए इसकी विस्तृत जांच की मांग की है। एसोसिएशन का कहना है कि सचिव ने शासी निकाय के सदस्यों को ई-मेल भेजकर क्रिकेट निकाय के टेंडर में 36 करोड़ रुपये की भारी धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है। यही नहीं, डीडीसीए के खाते में पेटीएम से 25 लाख रुपये के मार्च टिकट लेने वाले एक पदाधिकारी द्वारा धोखाधड़ी का भी पर्दाफाश किया है। पेटीएम अब अपना पैसा चाहता है जिसे डीडीसीए भुगतान नहीं कर सकता है। न ही पदाधिकारी अपने खाते से भुगतान कर सकते हैं। इसलिए डीडीसीए इस वर्ष अपने द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मैचों के खातों को अंतिम रूप देने में असमर्थ है। इन वित्तीय घोटालों की भी जांच होनी चाहिए। एसोसिएशन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के 14 सितंबर, 2022 के फैसले की तारीख से 30 दिन के भीतर डीडीसीए संविधान में संशोधन का अनुपालन नहीं किया गया, क्योंकि कोई एजीएम आयोजित नहीं किया जा रहा है। जबकि, यह संशोधन 4200 सदस्यों द्वारा एजीएम में ही किया जाना है। इस मामले की जांच भी जरूरी है, ताकि डीडीसीए पदाधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगाया जा सके।