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New Delhi Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 11 अक्टूबर। भगवान महावीर देशना फाउंडेशन (BMDF) ने भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को एक औपचारिक प्रतिनिधित्व (representation) प्रस्तुत किया है, जिसमें पशु-अवशेषों (मांस, हड्डियों, रक्त, मछली आदि) से बने जैविक खादों के उपयोग पर रोक लगाने और पौध-आधारित वैकल्पिक खादों को बढ़ावा देने की मांग की गई है।
फाउंडेशन के निदेशक श्री मनोज कुमार जैन (पार्षद, एमसीडी, नई दिल्ली) ने बताया कि हाल के वर्षों में “ऑर्गेनिक” या “नेचुरल” खेती के नाम पर ऐसे खादों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, जो मांसाहारी स्रोतों से तैयार किए जाते हैं। यह प्रवृत्ति करोड़ों शाकाहारी, जैन, वैष्णव, सिख, बौद्ध एवं वेगन नागरिकों की धार्मिक और नैतिक भावनाओं को गहराई से आहत करती है।
उन्होंने कहा कि ऐसे पौधे या फसलें, जो पशु-अवशेषों से बनी खादों से पोषित होती हैं, पूर्ण रूप से शाकाहारी नहीं मानी जा सकतीं। यह न केवल धार्मिक असहजता का कारण है, बल्कि आस्था-आधारित खाद्य शुद्धता (Faith-based Food Integrity) का भी उल्लंघन है।