Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : जिले के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान जे सी बोस यूनिवर्सिटी में कार्यों की अनदेखी, अनियमित्ता और लापरवाही का बोलबाला है। जिसको लेकर यहाँ पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं में काफी रोष है। इससे इत्तर यूनिवर्सिटी की कार्यशैली तब और भी ज्यादा हास्यास्पद बन जाती है जब खुद यूनिवर्सिटी द्वारा छात्रों को उनके प्रैक्टिकल एक्जाम में 25 में से 44 या 25 में से 50 अंक दे दिये जाते हैं और बावजूद उसके उन्हें उस विषय में भी फैल करार दिया जाता है।
हैरानी की बात तब और भी बढ़ जाती है जब यह गलती एक से अधिक छात्रों के साथ की गई हो। इस तरह की कार्यशैली न केवल यूनिवर्सिटी की गुणवत्ता बल्कि वहाँ कार्य करने वाले कर्मचारियों की शैक्षणिक योग्यता व मानसिक संतुलन पर भी प्रश्र उठाती है।
इसी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत विभिन्न कोर्सों का अध्ययन कर रहे छात्रों ने बताया की इस से पूर्व भी जे सी बोस यूनिवर्सिटी ने परीक्षा परिणाम जारी करने के बाद उसे ख़ारिज कर दिया। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार BBA के परीक्षा परिणाम की अंक तालिका जारी कर उसमें सुधार के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। जबकि यह समयावधि प्रवासी व विदेशी छात्र-छात्राओं के लिए बहुत कम है। इसके अलावा कोरोना महामारी के चलते यातायात के साधन भी सीमित संख्या में चल रहे हैं या प्रतिबंधित हैं।
यूनिवर्सिटी द्वारा जारी online अंकतालिका के अंत में चेतावनी स्वरूप नीचे लिखा गया है कि इसे कोई कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। इस विषय में विचारणीय बात यह भी है कि जो छात्र- छात्राएं सभी विषयों में अच्छे अंको से पास हो गए हैं उनकी अंक तालिका भी वैधानिक नहीं मानी जायेगी और परिणाम स्वरूप इस दौरान वह सभी छात्र छात्राएं उस डिग्री/अंक तालिका के आधार पर कहीं भी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
लॉकडाउन की मुसीबत झेल रहे अभिभावकों व छात्र- छात्राओं के हितों को ध्यान में रखकर जहाँ सरकार व UGC अनुकूल नियम बना रही है वहीं इसके उल्ट जे सी बोस यूनिवर्सिटी (YMCA) फरीदाबाद, अपने अनुभवहीन, अशिक्षित और अकुशल कर्मचारियों के कारण लापरवाही के नित नये आयाम गढ़ रही है।