Faridabad NCR
मुनव्वत हस्तशिल्प कला को विशेष पहचान दिलवाई है डा. ज्योति स्वरूप शर्मा ने
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 27 मार्च। 35वें सूरजकुंड अंतरराष्टï्रीय हस्तशिल्प मेला में राजा व रजवाडों की भूमि राजस्थान से कई राष्टï्रीय स्तर के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हीं कलाकारों में राजस्थान के जोधपुर जिला के रहने वाले डा. ज्योति स्वरूप शर्मा ऊंट की खाल से बनी सुराही, ढाल आदि पर की गई अनोखी चित्रकारी कला से सबका मन मोह रहे हैं। उन्हें हस्तशिल्प में 1999 में राष्टï्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें अनेक पुरस्कार भी प्रदान किए जा चुके हैं। उन्होंने मुनव्वत हस्तशिल्प कार्य में विश्व में ख्याति अर्जित की है। इन्हें यह कला विरासत में प्राप्त हुई है। इनकी चार पीढ़ी इस पुस्तैनी कार्य को आगे बढ़ा रहीं हैं।
डा. ज्योति स्वरूप शर्मा स्वर्ण चित्रकारी भी करते हैं। स्वर्ण पेंटिंग की कीमत लगभग 2 से ढाई लाख रुपए होती है तथा ऐसी पेंटिंग बनाने में दो से ढाई वर्ष तक का समय लगता है। वे राजस्थान में पुराने किलों व हवेलियों की विरासत को पुर्न जीवित करने के कार्य में लगे हुए हैं तथा युवाओं को भी निशुल्क पेंटिंग की शिक्षा दे रहे हैं। उनका कहना है कि युवा मुनव्वत पेंटिंग को आगे बढाने में काफी रूचि दिखा रहे हैं। उन्होंने देशभर में मंदिरों में स्थित देवी-देवताओं की पेंटिंग तथा महान साधु-संतों के स्वरूप को निशुल्क बनाने का संकल्प लिया है।