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मानव रचना की डॉ. निधि दिदवानिया को शिक्षण में श्रेष्ठता का पुरस्कार, जैव नियंत्रण, औषधीय पौधे, स्टार्टअप नेतृत्व और सी-कैम्प राष्ट्रीय जैव-उद्यमिता प्रतियोगिता 2025 में उपलब्धियों के लिए सम्मान

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 26 सितंबर। मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एमआरआईआईआरएस) के स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, मानव रचना सेंटर फॉर मेडिसिनल प्लांट पैथोलॉजी (MRCMPP) की निदेशक और प्रोफेसर डॉ. निधि दिदवानिया को “मृदा और फसल स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में माध्यमिक हरित क्रांति के लिए पीजीपीआर को बढ़ावा देना” विषय पर आयोजित दसवें एशियाई पीजीपीआर सोसाइटी इंडिया चैप्टर राष्ट्रीय सम्मेलन में शिक्षण में उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
यह पुरस्कार डॉ. दिदवानिया के उच्च शिक्षा में असाधारण योगदान को मान्यता देता है, जहां उन्होंने शिक्षण, अनुसंधान और छात्रों के मार्गदर्शन को सततता और नवाचार के दृष्टिकोण के साथ जोड़कर लगातार उत्कृष्टता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। वनस्पति विज्ञान में डॉक्टरेट की डॉ. दिदवानिया 18 वर्षों से अधिक अनुभव की धनी हैं और उन्होंने बहुविषयक शिक्षण पद्धतियों का विकास किया है, जो जैव प्रौद्योगिकी, औषधीय पौधे, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेंसर, फसल सुरक्षा और सतत कृषि को जोड़ती हैं।
उन्होंने कई स्नातक और परास्नातक परियोजनाओं का मार्गदर्शन किया है, जिनमें पुरस्कार विजेता छात्र स्टार्टअप मेडप्लांट केयर शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने 132 से अधिक प्रजातियों वाले एडन ऑफ़ एलीक्सिर मेडिसिनल गार्डन का निर्माण किया, जो बाहरी संरक्षण, प्रयोगात्मक शिक्षा और सामुदायिक सहभागिता के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है।
इस सम्मान पर प्रतिक्रिया देते हुए एमआरआईआईआरएस के कुलपति (प्रोफ.) डॉ. संजय श्रीवास्तव ने कहा, “डॉ. निधि दिदवानिया यह दिखाती हैं कि शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार मिलकर कैसे सार्थक बदलाव ला सकते हैं। सतत फसल सुरक्षा और जैव नियंत्रण में उनके कार्य ने न केवल वैज्ञानिक समझ को आगे बढ़ाया है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के विद्वानों और उद्यमियों को भी प्रेरित किया है। यह सम्मान उन्हें एक सच्चे अकादमिक मार्गदर्शक के रूप में मान्यता देता है, जो ज्ञान और व्यवहार दोनों को बेहतर भविष्य के लिए आकार दे रही हैं।”
डॉ. दिदवानिया की उपलब्धियां केवल कक्षा तक सीमित नहीं हैं। वह ट्राइको एग्रोनिका प्रा. लि. की सह-संस्थापक हैं, जो पर्यावरण अनुकूल कीट नियंत्रण और सतत फसल सुरक्षा समाधान विकसित करती है। उनके अनुसंधान ने बायोइलिक्सिर और टमाटोलिक्सिर जैसी पेटेंटेड जैव नियंत्रण तकनीकें विकसित की हैं। 2025 में उन्होंने राष्ट्रीय जैव उद्यमिता प्रतियोगिता (NBEC) में 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और सोशल अल्फा से निवेश प्राप्त किया, जिसमें एमआरआईआईआरएस एकमात्र निजी विश्वविद्यालय था जो पूरे देश में शीर्ष 20 फाइनलिस्ट में शामिल हुआ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, उन्होंने फ़िनलैंड के लाह्टी विश्वविद्यालय में अतिथि व्याख्याता के रूप में अकादमिक आदान-प्रदान में योगदान दिया, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने नीति निर्माण में सहयोग किया, जैसे कि विभिन्न समितियों में विशेषज्ञ की भूमिका निभाना।
डॉ. दिदवानिया ने अपने अनुभव पर कहा, “यह पुरस्कार यह पुष्टि करता है कि प्रभावशाली शिक्षा छात्रों, शोधकर्ताओं, उद्योग सहयोगियों और किसान समुदाय के बीच सहयोग पर आधारित होती है। मेरी यात्रा का हर कदम वैज्ञानिक विचारों को व्यावहारिक समाधान में बदलने के लिए रहा है, जो सततता को बढ़ावा दें और लोगों को सशक्त बनाएं। यह सम्मान मुझे और प्रेरित करता है कि मैं ऐसे मार्ग बनाती रहूँ जहाँ प्रयोगशाला में नवाचार असली जीवन में सार्थक बदलाव ला सके।”
डॉ. दिदवानिया ने अब तक 32 शोध पत्र, 8 पुस्तक अध्याय और 2 संपादित पुस्तकें प्रकाशित की हैं और अनेक पीएच.डी., परास्नातक और स्नातक छात्रों का मार्गदर्शन किया है। उनके नेतृत्व में MRCMPP एक ऐसा केंद्र बन गया है जो अनुप्रयुक्त अनुसंधान, नवाचार और किसान सहभागिता को बढ़ावा देता है, जैव विविधता संरक्षण और सतत कृषि को प्रोत्साहित करता है।
सालों में उन्हें पहले भी राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, कर्मसु कौशलम पुरस्कार, शी मैप्स पुरस्कार और उद्यमी पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। इस नवीनतम सम्मान के साथ, डॉ. दिदवानिया एमआरआईआईआरएस की अकादमिक प्रतिष्ठा और सतत कृषि के व्यापक उद्देश्य को और मजबूत कर रही हैं।
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