Faridabad NCR
जे.सी.बोस विश्वविद्यालय वाईएमसीए में “भारतीय ज्ञान प्रणाली के दर्शन” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 8 अप्रैल। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में आज “भारतीय ज्ञान प्रणाली के दर्शन” विषय पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इंडियन नॉलेज सिस्टम प्रकोष्ठ एवं विज्ञान भारती के सहयोग से किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग के ओएसडी प्रो. राजेन्द्र कुमार अनायत रहे। व्याख्यान की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने की, जिन्होंने अतिथि का स्वागत करते हुए भारतीय प्राचीन ग्रंथों की वैज्ञानिकता पर उठ रहे द्वंद्व पर चर्चा की। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 को हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा की पुनर्प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
अपने व्याख्यान में प्रो.राजेन्द्र कुमार अनायत ने भारतीय दर्शन की मूल अवधारणाओं को सरल और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में “शुभ सुनो, शुभ देखो और शुभ सोचो” की अवधारणा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रासंगिक है। उन्होंने स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ अंगों की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि वैदिक काल में देवताओं का कोई स्थायी रूप नहीं था, क्योंकि भारतीय दर्शन प्रत्येक जीव में दिव्यता की भावना को स्वीकार करता है। इसमें सभी के लिए स्थान है। शांति के तीन स्तरों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि पहली शांति संसार के लिए, दूसरी समाज के लिए और तीसरी स्वयं के लिए होती है। उन्होंने विद्यार्थियों को चुनौतियों से भागने के बजाय उनका सामना करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “समस्या को परिभाषित करते ही वह आधी हल हो जाती है। गुणवत्ता का अर्थ मौलिकता होता है। प्रो.अनायत ने स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि “जो कुछ भी किया जाए, वह विश्व के हित के लिए होना चाहिए।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के डीन, फैकल्टी ऑफ लिबरल आर्ट्स प्रो. अनुराधा शर्मा, इंडियन नॉलेज सिस्टम प्रकोष्ठ की कॉर्डिनेटर प्रो. बिंदु मंगला, प्रो. राजकुमार, प्रो. संदीप ग्रोवर, एसोसिएट प्रो. रेनुका गुप्ता , डॉ. नेहा गोयल, डॉ. रवि, विज्ञान संकाय की डीन डॉ. नीतू गुप्ता, प्रो. मनीषा गर्ग, सहायक प्रोफेसर डॉ. तरुणा नरूला, सहायक प्रोफेसर सोनिया हूड्डा ,जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, राजकीय कॉलेज, फरीदाबाद, अग्रवाल कॉलेज, बल्लभगढ़ तथा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम न केवल भारतीय ज्ञान प्रणाली की प्राचीन समृद्धि को समझने का एक अवसर बना, बल्कि विद्यार्थियों को जीवन में उद्देश्यपूर्ण और मूलभूत सोच अपनाने के लिए भी प्रेरित करता रहा।