Faridabad NCR
बच्चों की सुरक्षा के लिए फरीदाबाद पुलिस ने शुरू किया ऑपरेशन स्माइल
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : पुलिस आयुक्त द्वारा बच्चों के उज्जवल भविष्य तथा पथ प्रदर्शन के लिए चलाए गए ऑपरेशन स्माइल अभियान के तहत कार्रवाई करते हुए क्राइम ब्रांच कैट प्रभारी सरजीत सिंह की टीम ने कल रेडलाइट पर भीख मांग रहे 8 छोटे बच्चों को रेस्क्यू करने का सराहनीय कार्य किया है।
पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा और उनके उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए पुलिस आयुक्त द्वारा ऑपरेशन स्माइल अभियान की शुरुआत की गई है जिसमें स्कूल की बजाय कार्य करने या भीख मांगने वाले बच्चों को रेस्क्यू करके उनकी काउंसलिंग की जाती है तथा उनके माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जागरूक किया जाता है। पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि फरीदाबाद पुलिस का यह अभियान बहुत ही सराहनीय है जिससे बहुत से बच्चों का जीवन सकारात्मक दिशा में पथ प्रदर्शित होगा और वह पढ़ लिखकर एक अच्छे समाज का निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि बच्चे इस देश का भविष्य है और शिक्षा किसी भी इंसान के लिए बहुत जरूरी होती है। शिक्षा के माध्यम से इंसान ज्ञान की प्राप्ति करता है और इसके साथ साथ वह नैतिक रूप से भी समृद्ध बनता है जो अपने साथ-साथ अपने समाज के लिए कार्य करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए ना कि छोटी उम्र में ही कार्य में लिप्त होकर अपने भविष्य को अंधेरे में धकेलना चाहिए। शिक्षा मनुष्य को एक नई रोशनी दिखाती है जिससे वह अपने अधिकारों और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक होकर इसके लिए कार्य करता है जो अन्य लोगों के लिए भी मददगार साबित होता है। पुलिस आयुक्त द्वारा शुरू की गई इस पहल के तहत क्राइम ब्रांच कैट द्वारा 8 बच्चों को रेस्क्यू किया गया जिसमें 5 बच्चों को ओल्ड फरीदाबाद तथा तीन बच्चों को बड़खल रेड लाइट से भीख मांगते हुए रेस्क्यू किया गया है। रेस्क्यू किए गए बच्चों में 6 लड़कियां तथा 2 लड़के शामिल हैं। तीन लड़कियों की उम्र 12 वर्ष, एक की 11, एक की 8, एक की 6 तथा अन्य दो छोटे बच्चों की उम्र 5 व 4 वर्ष है। बच्चों से पूछताछ करके उनके माता-पिता के बारे में जानकारी प्राप्त की गई और उसके पश्चात बच्चों तथा उनके माता-पिता को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करके उनकी काउंसलिंग की गई। उनके माता-पिता को समझाया गया कि यह उम्र बच्चों के स्कूल जाने की है। यदि वह अभी से इस प्रकार का कार्य करेंगे तो सारी उम्र उन्हें यही कार्य करते हुए बितानी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि कोई भी माता-पिता नहीं चाहता कि उनके बच्चे सड़क पर खड़े होकर भीख मांगे या पढ़ने की उम्र में कार्य करें। इसलिए आवश्यक है कि उन्हें स्कूल भेजें ताकि वह पढ़ लिखकर एक अपने सामाजिक स्तर को ऊंचा उठा सके और एक बेहतर जीवन व्यतीत कर सकें। काउंसलिंग करने के पश्चात बच्चों को उनके माता-पिता के हवाले किया गया और उनके माता-पिता ने भी विश्वास दिलाया कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे ताकि वह पढ़ लिखकर अच्छे नागरिक बन सकें।