Hindutan ab tak special
फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा पुनरुद्धारित (रेस्टोरेशन) मलयालम फ़िल्म “थंप” का कॉन्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल के रेड कार्पेट इवेंट में हुआ प्रीमियम-शो
New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 21 मई। फ्रांस में आयोजित हो रहे 75वें कॉन्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल के शुक्रवार रात हुए रेड कारपेट इवेंट में फ़िल्म सरंक्षण के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त – शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर की फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन, मुम्बई द्वारा रेस्टोरेशन की गई नवीनीकृत और पुनरुद्धारित मलयालम फ़िल्म “थंप” का भव्य प्रदर्शन किया गया।
इस ऐतिहासिक दिन कॉन्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल के निदेशक – थियरी फ्रैमॉक्स ने फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन मुम्बई के निर्देशक – शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर और उनकी टीम का स्वागत किया और कहा कि हमें “थंप” जैसी अद्भुत खोज पूर्ण फ़िल्म को कांस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में स्क्रीन करने पर गर्व है।
समारोह में शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर के साथ मलयालम फ़िल्मों की प्रख्यात हीरोईन जलजा और फ़िल्म निर्देशक – प्रकाश नायर रेड कार्पेट पर चल कर आयोजन स्थल पर पहुँचे।
डूंगरपुर ने बताया कि कॉन्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल के रेड कार्पेट इवेंट में थंप फ़िल्म का प्रीमियम-शो आयोजित होना भारतीय सिनेमा जगत के लिए रोमांचित करने वाला एक गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण थाI उन्होंने बताया कि इस वर्ष कांस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में भारत की कुछ और फ़िल्मों के साथ थंप फ़िल्म का भी चयन होना एवं उसे इस प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में आमंत्रित करना सचमुच ही भारतीय सिने जगत के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा जाना है।
शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने बताया कि मलयालम फ़िल्म के सर्वकालीन महान फ़िल्मकार – जी. अरविंदन गोविंदन की इस कालजयी फ़िल्म थंप (1978) का रेस्टोरेशन फ़िल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने वर्ल्ड सिनेमा फाउंडेशन एवं सिनेटिका डी. बोलोनिया संस्थान, इटली के साथ मिलकर पूरा किया है। इसके पहले 1948 में बनी उदयशंकर की फ़िल्म “कल्पना” का रेस्टोरेशन भी हम सभी ने मिल कर किया था तथा कल्पना फ़िल्म को भी कांस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाया गया था। इस प्रकार हम अपनी एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सौभाग्य से थंप (यानि सर्कस का टेंट) को कांस फ़िल्म महोत्सव में भाग लेने का अवसर मिला है, जो कि भारतीय सिने जगत के लिए एक मील का पत्थर है। थंप फ़िल्म का निर्माण 1978 में के. रवींद्रन नायर की फ़िल्म कंपनी जनरल फ़िल्म्स के बैनर तले किया गया था। यह एक श्वेत श्याम फ़िल्म थी एवं इस फ़िल्म के निर्देशक और पटकथाकार मलयालम फ़िल्म जगत के जाने माने फ़िल्मकार – जी. अरविंदम थे। वे एक उत्कृष्ट निर्देशक होने के साथ-साथ एक सफल संगीतकार भी थे और उन्होंने कई मलयालम फ़िल्मों को अपना संगीत दिया था। थंप फ़िल्म की कहानी सर्कस पर आधारित है, जिसमें एक सर्कस गांव में आता है और बस पूरे फ़िल्म की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
थंप फ़िल्म के बारे में शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर कहते है जब वे पुणे फ़िल्म इंस्टीट्यूट में डिप्लोमा कर रहे थे, उस वक्त उन्होंने यह फ़िल्म देखी थी और उनका मानना है कि जी. अरविंदन गोविंदन की यह फ़िल्में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। उन्होंने बताया