Faridabad NCR
पूर्व विधायक ने दिया पृथला-गदपुरी टोल के विरोध में चल रहे धरने को समर्थन
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : पृथला-गदपुरी टोल हटाने को लेकर टोल हटाओ संघर्ष समिति के बैनर तले टोल प्लाजा पर चल रहा धरना सोमवार को भी जारी रहा। आज तिगांव विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक ललित नागर ने जिले के कांग्रेसी नेताओं के साथ धरनास्थल पर पहुंचकर धरने को समर्थन दिया और उपस्थित ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि उनकी इस लड़ाई वह पूरी तरह से उनके साथ खड़े है। इस मौके पर टोल हटाओ संघर्ष समिति के प्रधान रतन सिंह सौरोत, शशिबाला तेवतिया, प्रदेश प्रवक्ता सुमित गौड़, बलजीत कौशिक व पूर्व पार्षद जगन डागर आदि मुख्य रूप से मौजूद थे। धरने पर मौजूद ग्रामीणों को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक ललित नागर ने कहा कि भाजपा की सरकार ऐसी पहली सरकार है, जिसकी कथनी और करनी में काफी अंतर है, जहां एक तरफ देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लोकसभा में बयान दिया था कि कि एक टोल से 60 किलोमीटर दूरी तक दूसरा टोल नहीं होगा, लेकिन बदरपुर बॉर्डर से यहां की दूरी 60 से कम है इसलिए यह टोल पूरी तरह से अवैध बनाया गया है। उन्होंने कहा कि देश प्रदेश में जो टोल चल रहे है, वह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के संरक्षण में चल रहे है, यही कारण है कि टोल पर अक्सर गुंडा तत्व के लोग बैठते है, जो आम आदमी से लड़ाई झगड़ा करने से गुरेज नहीं करते और उस एरिया के एसएचओ और एसपी भी आम आदमी की सुनवाई करने के बजाए टोल कर्मियों का साथ देते है क्योंकि टोल से उगाहा गया सारा पैसा भाजपा नेताओं में बंदरबाट होता है। पूर्व विधायक ललित नागर ने कहा कि तिगांव क्षेत्र के चौरासी की रिश्तेदारियां पलवल में है और पलवल की उनके यहां, ऐसे में लोगों का पलवल और पलवल से फरीदाबाद आना जाना लगा रहा है, इस टोल के लगने से आम आदमी की जेबों पर भार पड़ेगा इसलिए आज इस लड़ाई में हर व्यक्ति को अपना सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक करण सिंह दलाल व रघुबीर सिंह तेवतिया पहले ही इस धरने को समर्थन दे चुके है और आज उन्होंने भी पहुंचकर संघर्ष समिति को स्पष्ट कहा कि वह तन-मन-धन से उनके साथ है और जब तक इस मामले में राहत वाला फैसला नहीं आता, तब तक यह धरना जारी रहना चाहिए क्योंकि यह लड़ाई हमारी भविष्य की पीढिय़ों के लिए लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में भी जिस प्रकार से वरिष्ठ समाजसेवी रतन सिंह सौरोत के नेतृत्व में जो धरना प्रदर्शन किया गया, उसी का परिणाम रहा कि किसानों की जीत हुई और उन्हें उम्मीद है कि इस संघर्ष में भी उनकी जीत होगी और सरकार को ग्रामीणों के आगे झुकना ही होगा।