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Faridabad NCR

मंदिर श्री बांके बिहारी में की गई गणेश चतुर्थी पूजा

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : मंदिर श्री बांके बिहारी नम्बर-5 में श्री सनातन धर्म सभा द्वारा गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिर में पूजा अर्चना की गई। इस मौके पर मंदिर के प्रधान एवं महंत ललित गोस्वामी, पण्डित प्रदीप शास्त्री व मनीष दुबे जी  व अन्य भक्तों ने पूरे विधि विधान से भगवान गणेश की मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया और गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगाकर पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।  इस अवसर पर महंत ललित गोस्वामी ने कहा कि अशोक अरोड़ा परिवार के सहयोग से  मंदिर में पूरे दस दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा और प्रतिदिन आरती की जाएगी। उन्होनें कहा कि हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। गणेश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करने वालेए कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का आविर्भाव हुआ था। उन्होनें कहा कि कथानुसार एक बार मां पार्वती ने स्नान पूर्व अपने मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसका नाम गणेश रखा। फिरर उसे अपना द्वारपाल बना कर दरवाजे पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गई। थोड़ी देर बाद भगवान शिव आए और द्वार के अन्दर प्रवेश करना चाहा तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया। इसपर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से गणेश के सिर को काट दिया और द्वार के अन्दर चले गए। जब मां पार्वती ने पुत्र गणेश जी का कटा हुआ सिर देखा तो अत्यंत क्रोधित हो गई। तब ब्रह्मा विष्णु सहित सभी देवताओं ने उनकी स्तुति कर उनको शांत किया और भोलेनाथ से बालक गणेश को जिंदा करने का अनुरोध किया। महामृत्युंजय रुद्र उनके अनुरोध को स्वीकारते हुए एक गज के कटे हुए मस्तक को श्री गणेश के धड़ से जोड़ कर उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। इस मौके पर संस्था के सरपरस्त एन.एल गौंसाई,अशोक अरोड़ा उन की धर्मपत्नी सुनीता अरोड़ा सुपुत्र मनोज पुत्र वधु पूनम अरोड़ा, सतीश अरोड़ा, रमा अरोड़ा, महिला मंडल प्रधान मीनाक्षी गोस्वामी, प्रीति गोस्वामी, रेखा, परिवेश धाकड़ इत्यादि ओर भी भक्त मौजूद थे। अंत में  महेंद्र ललित गोस्वामी जी ने सबको बधाई दी प्रसाद वितरण किया गया। गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाते हुए सभी भक्तों ने गणपति जी की चार परिक्रमा लगाई तदोपरांत अपने-अपने घरों को प्रस्थान किया।

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