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Faridabad NCR

गिफ़्ट ने लगाया स्टैम सैल डोनेशन जागरूकता व निशुल्क एच.एल.ए जाँच शिविर

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : गिफ्ट, यानि ग्लोबली इंटीग्रेटिड फॉउंडेशन फॉर थैलेसीमिया, ने डी.ए.वी. शताब्दी कॉलेज फरीदाबाद में एक विशाल स्टैम सैल डोनेशन जागरूकता एवं निशुल्क एच.एल.ए. टाइपिंग/टैस्ट का शिविर आयोजित किया।

एच.एल.ए. (ह्यूमैन ल्यूकोसाइट्स एंटीजेन) टाइपिंग एक प्रकार का डी.एन.ए.टैस्ट होता है। यह एक बहुत ही आसान प्रकिया है जिसमें व्यक्ति के मुँह के अंदर (गॉल) से लार का सैम्पल लिया जाता है।  इसमें सिर्फ 5 मिनट का समय लगता है। ज्ञात हो कि थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों का स्थाई इलाज सिर्फ बोन मैरो (स्टैम सैल) ट्रांसप्लांट होता है, और बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिये सबसे पहला व सबसे महत्वपूर्ण कदम रोगी व उसके लिये स्टैम सैल देने वाले डोनर का एच.एल.ए. मिलान करना होता है। इसके बिना इलाज की प्रकिया में आगे बढ़ना भी सम्भव नहीं है।

इस संदर्भ में गिफ़्ट के संस्थापक व अध्यक्ष मदन चावला ने 3 दिन पहले कॉलेज के एन.एस.एस. विंग के विद्यार्थियों को विस्तृत ट्रेनिंग दी थी।  जिसके पश्चात शिविर में विद्यार्थियों व स्टाफ ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। आज के शिविर में कॉलेज के हज़ारों विद्यार्थियों को इस विषय में सामान्य ज्ञान, डॉक्टर्स के अनुभवों एवं वास्तविक जीवन में स्टैम सैल डोनर्स के उदाहरणों से एच.एल.ए. टैस्ट एवं स्टैम सैल डोनेशन के प्रति शिक्षित व प्रेरित किया गया।  मदन चावला ने बताया कि आज तक पूरे विश्व में किसी भी स्टैम सैल डोनर को किसी प्रकार का कोई नुकसान होने का कोई भी उदाहरण नहीं है। डोनर के लिये यह एक सुरक्षित प्रकिया है और स्टैम सैल डोनेशन रोगी के लिये तो एक नये जीवन का वरदान साबित हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि बाज़ार में एक व्यक्त्ति के एच.एल.ए. जाँच की लागत लगभग ₹ 12,000/- होती है, जबकि गिफ़्ट फॉउंडेशन द्वारा यह टैस्ट सम्पूर्ण भारतवर्ष में पूर्णतया निशुल्क किये जाते हैं।  यह खेद की बात है कि हमारे देश में सिर्फ 0.04% लोगों ने ही अभी तक अपना नाम संभावित स्टैम सैल डोनर्स के रूप में पंजीकृत करवा रखा है, जबकि अमेरिका जैसे देश में यह 10% से ऊपर है।  हमारी कोशिश है कि भारतवर्ष में अधिक से अधिक लोग अपना एच एल ए टैस्ट करवायें व अपना नाम स्टैम सैल डोनेशन के लिये पंजीकृत करवायें ताकि थैलेसीमिया एवं अन्य गम्भीर रक्त्त विकारों से पीड़ित रोगियों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के माध्यम से बेहतर जिंदगी जीने के अवसर मिल सकें।  हम काश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के हर कोने में ऐंसे निशुल्क शिविर लगाने को तैयार हैं, मदन चावला ने कहा।

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