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धीरे चलें, लेकिन निरंतर आगे बढ़ते रहें: नितिन विजय ने मानव रचना में अति-प्रतिस्पर्धी दुनिया में छात्रों को सफलता की राह दिखाई

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 22 दिसंबर। मोशन एजुकेशन, कोटा के संस्थापक एवं सीईओ तथा देश के प्रतिष्ठित भौतिकी शिक्षकों में से एक नितिन विजय ने मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया, जहां उन्होंने छात्रों से प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं, मानसिक स्वास्थ्य और बदलते शिक्षा परिदृश्य पर संवाद किया। मोशन एजुकेशन का नेटवर्क देशभर में 80 से अधिक केंद्रों में फैला है, जो प्रतिवर्ष हजारों छात्रों का मार्गदर्शन करता है। जेईई एडवांस्ड 2025 परीक्षा में संस्थान ने 65.8 प्रतिशत की सफलता दर दर्ज की, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक रही, और इसके कई छात्रों ने ऑल इंडिया टॉप रैंक भी हासिल की।

छात्रों के साथ संवाद के दौरान नितिन विजय ने प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं से जुड़े बढ़ते तनाव, बर्नआउट और दबावपूर्ण संस्कृति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने अत्यधिक परिश्रम से हटकर स्मार्ट तैयारी की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “समस्या प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि यह धारणा है कि दबाव ही सफलता का एकमात्र रास्ता है। व्यवस्था को ओवरवर्क से स्मार्ट वर्क की ओर बढ़ना होगा। बेहतर टाइमटेबल, नियमित मूल्यांकन, स्पष्ट अल्पकालिक लक्ष्य और काउंसलिंग को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाना बेहद जरूरी है। जब तैयारी सही दिशा में होती है, तो उत्कृष्टता और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे के विरोधी नहीं होते, बल्कि एक-दूसरे के पूरक होते हैं।”
नितिन विजय ने डिजिटल टूल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया के शिक्षा पर पड़ते प्रभावों पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “एआई और ऑनलाइन कंटेंट ने जानकारी को व्यापक रूप से सुलभ बना दिया है, लेकिन जानकारी और मार्गदर्शन में स्पष्ट अंतर है। आज कोचिंग की भूमिका केवल अवधारणाएं पढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि छात्रों को सही प्रश्न पूछने, अपनी गलतियों का विश्लेषण करने और अनुशासन विकसित करने में मदद करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। पारंपरिक कोचिंग अब शिक्षक-केंद्रित से छात्र-केंद्रित प्रणाली की ओर विकसित हो रही है, जहां तकनीक एक सहायक के रूप में काम करती है, विकल्प के रूप में नहीं। सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाली सफलता अक्सर अधूरी सच्चाई होती है। तुलना प्रेरणा नहीं देती, बल्कि तनाव पैदा करती है। छात्रों को अपनी तुलना केवल अपने पिछले प्रदर्शन से करनी चाहिए। डिजिटल दुनिया का उपयोग सीखने के साधन के रूप में करें, न कि आत्म-मूल्यांकन के पैमाने के रूप में।”
नितिन विजय के विचारों से सहमति जताते हुए, मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला ने कहा, “प्रतिस्पर्धी सफलता छात्रों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं आनी चाहिए। ऐसे समय में, जब उपलब्धियों को अक्सर केवल रैंक और परिणामों से परिभाषित किया जाता है, शिक्षा में संतुलन पुनर्स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षकों की जिम्मेदारी केवल परीक्षा की तैयारी तक सीमित नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दिशा तय करती है, लेकिन सीखने की प्रक्रिया को मानवीय बनाना संस्थानों का दायित्व है। मानव रचना में हमारा जोर सोचने-समझने वाले मस्तिष्क, मानसिक रूप से सशक्त व्यक्तियों और जिम्मेदार नागरिकों के निर्माण पर है—ये वे परिणाम हैं जो परीक्षाओं के बाद भी लंबे समय तक मायने रखते हैं।”
लोकप्रिय नेटफ्लिक्स सीरीज़ कोटा फैक्ट्री में ‘जीतू भैया’ के किरदार के वास्तविक जीवन के प्रेरणास्रोत नितिन विजय ने कोचिंग हब्स को लेकर बनी धारणाओं पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “कोटा फैक्ट्री ने संघर्ष, दोस्ती और दबाव को सही ढंग से दिखाया है, लेकिन यह भ्रम भी पैदा करता है कि हर छात्र टूटता ही है। हकीकत यह है कि सही मार्गदर्शन, सपोर्ट सिस्टम और संतुलन के साथ कोटा जैसे शहर आत्मविश्वास और अनुशासन भी सिखाते हैं। यहां सिर्फ रैंक नहीं, जीवन की तैयारी होती है।“
मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों के उपाध्यक्ष डॉ. अमित भल्ला ने कहा, “आज के डिजिटल और अति-प्रतिस्पर्धी माहौल में छात्र निरंतर तुलना और दबाव का सामना करते हैं। अनुभवी शिक्षकों का मार्गदर्शन, संरचित शिक्षण प्रणाली और साथियों का सहयोग छात्रों को फोकस बनाए रखने, मानसिक दृढ़ता विकसित करने और अपने भविष्य को लेकर सोच-समझकर निर्णय लेने में मदद करता है।”
नितिन विजय ने भारत की परीक्षा प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “परीक्षा केवल चयन की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह देश की प्रतिभा पर भरोसे की नींव होती है। इसमें किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए। परीक्षा प्रणाली में विश्वास तभी लौटेगा, जब पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। प्रश्नपत्र निर्माण से लेकर मूल्यांकन तक, तकनीक के बेहतर उपयोग, कड़े दंड और स्वतंत्र निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।”
अपने संबोधन के समापन पर नितिन विजय ने अति-प्रतिस्पर्धी और हमेशा ऑनलाइन रहने वाली दुनिया में छात्रों को धैर्य और निरंतरता का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “मैं छात्रों को बस यही कहना चाहूंगा कि धीरे चलो, लेकिन लगातार चलो। इस हाइपर कम्पटीटिव और हमेशा-ऑनलाइन दुनिया में धैर्य सबसे बड़ी ताकत है। खुद पर भरोसा रखें, सिस्टम पर भरोसा रखें और याद रखें कि सफलता एक परीक्षा नहीं, एक यात्रा है।“
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