Faridabad NCR
भगवान ने दिया साधन, गुरु ने सिखाई युक्ति : स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : सूरजकुंड रोड स्थित श्री सिद्धदाता आश्रम में आज नामदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने सविधि दीक्षा की परंपरा को पूर्ण कर भक्तों को मंत्र प्रदान किया। आज यहारं देश भर से पहुंचे करीब 225 लोगों ने दीक्षा प्राप्त की।
इस अवसर पर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि दीक्षा प्राप्त कर आप परमात्मा के मार्ग पर चलने जा रहे हैं। क्योंकि आपको पता चल गया है कि आपके जीवन का लक्ष्य क्या है। आपको यह जीवन मुक्ति के लिए मिला है और मुक्ति दीक्षा से ही प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि एक समर्थ गुरु ही हमें मुक्ति का मार्ग दिखा सकता है। गुरुजी ने बताया कि कमाना, खाना, बच्चे पैदा करना आदि के बारे में तो पशुओं को भी पता है। यह सब भोग हैं। यदि हम भी पशुओं के जैसे भोग के पीछे ही भागे तो हमारे बीच अंतर क्या रह जाएगा।
हमें गुरुजन से ही पता चला है कि हम भगवान के अंश हैं, उनके पुत्र हैं। हम भगवान के यहां से आए हैं और उनके ही पास हमें जाना है। इसके लिए हमें गुरुज्ञान मिलता है और गुरु का ज्ञान दीक्षा से प्रारंभ होता है। उन्होंने बताया कि यह जीवन अनेकानेक जन्मों से कर्मों को भोगता आया है। लेकिन इन भोगों से मुक्ति के लिए मनुष्य का शरीर भगवान ने हमें दिया है। यह भगवान के बनाए सभी जन्मों में श्रेष्ठ जन्म है। यह भी हमें गुरुजन से ही पता चला है। उन्होंने कहा कि इस शरीर की महिमा रामायण में भी बताई गई है। जिसमें इस मानव शरीर को मोक्ष का साधन बताया गया है। लेकिन यह मोक्ष का साधन भगवान की करुणा कृपा से मिलता है। इस शरीर का महत्व गुरु बताते हैं और हमें गुरु के मार्ग पर चलाते हैं। स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने बताया कि आज से आपके आध्यात्मिक मार्ग की यात्रा शुरू हो गई है। मैं आप सभी के अच्छे जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं।
इससे पहले उन्होंने सभी भक्तों को यज्ञ करवाया और उनके कंधों पर तप्त शंख एवं शक्र लगाए और उनके कान में मंत्र भी प्रदान किया। इसके साथ ही सभी को जनेऊ पहनाकर भगवान के शरणागत करवाया गया। बता दें कि श्री रामानुज संप्रदाय में दीक्षा का सर्वाधिक महत्व बताया गया है जिसमें कहा गया है कि भगवान के शंख चक्रों और उनके मंत्र को अपने अंदर स्वीकार करने वाले की मुक्ति में कोई संशय नहीं रह जाता है। इस अवसर पर मधुर भजनों की भी प्रस्तुति हुई।