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2022 में डॉलर के लिहाज से गोल्ड के रिटर्न में आई गिरावट

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New Delhi Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : वर्ष 2022 में, वैश्विक बाजारों में एक के बाद एक अनिश्चित घटनाओं की श्रृंखलाओं के बावजूद सोना (गोल्‍ड) निवेशकों के पोर्टफोलियो में चमक पैदा करने में विफल रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज दरों में लगातार की जा रही बढ़ोतरी और ऊच्‍च महंगाई दर सोने की कीमतों में सुस्ती का प्रमुख कारण रहा है।

26 दिसंबर 2022 को साल में अब तक (वाईटीडी) में सोने की कीमतों में लगभग 2 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि रुपये की कीमत में करीब 11.5 फीसदी की गिरावट की वजह से एमसीएक्स गोल्‍ड की कीमतों में लगभग 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सोने की कीमतों में अस्थिरता हमें एक स्पष्ट कहानी बताती है कि इसमें कई कारक काम करते हैं और परिसंपत्ति वर्ग और विविधीकरण के कारक के रूप में गोल्ड की भूमिका जोखिम में है। आइए, हम मूल्यांकन के जरिए समझते हैं कि इस अस्थिरता के कारण क्या हुआ और बीते वर्ष में गोल्‍ड को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक क्या रहे और 2023 में सोना में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए क्या कुछ छिपा है।श्री प्रथमेश माल्या, एवीपी- अनुसंधान, गैर-कृषि वस्तुएँ और मुद्राएँ, एंजल वन लिमिटेड

केंद्रीय बैंकों की सख्त मौद्रिक नीति – गोल्ड की कीमतों में तेजी के लिए बाधा
2021 तक के दशक में, अमेरिका में महंगाई ज्यादातर रूप में केंद्रीय बैंकों के 2% के लक्ष्य से कम थी, जबकि भारत में 4-6% के लक्ष्य से परे महंगाई का अनुभव होता है। परिणामस्वरूप भारत में मुद्रास्फीति औसतन 4% अधिक थी। हालांकि, यह 2022 में पलट गया, क्योंकि अमेरिका में कीमतें बहुत अधिक तेजी से बढ़ीं और बढ़ती मुद्रास्फीति की अस्थिरता के कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के लिए 2022 में मौद्रिक नीति को सख्ती के साथ जारी रखे रहना महत्वपूर्ण हो गया। डॉलर के संदर्भ में सोने के खराब प्रदर्शन का मूल कारण यह था कि केंद्रीय बैंकों की तरफ से वैश्विक मौद्रिक नीति को सख्त किया गया क्योंकि महंगाई वैश्विक बाजारों के लिए सबसे बड़ी चिंता थी। नीचे दर्शाया गया सूचकांक इस बात की जानकारी देता है कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई का चक्र कैसा रहा है।

ईटीएफ से निकासी और केंद्रीय बैंकों का गोल्ड के रिजर्व को बढ़ाना
सोने की मांग के कारणों में गहने की मांग, केंद्रीय बैंक की मांग, ईटीएफ, बार और सिक्के और तकनीकी की मांग शामिल है। आइए देखें कि इनमें से प्रत्येक मांग घटक ने पिछले वर्ष में कैसा प्रदर्शन किया है।

केंद्रीय बैंक ने 2022 में अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाया
केंद्रीय बैंक हर साल अपने सोने के भंडार में वृद्धि कर रहे हैं और 2022 में भी उन्होंने ऐसा ही किया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के नवीनतम आंकड़ों में कहा गया है कि वैश्विक केंद्रीय बैंक की खरीदारी 2022 की तीसरी तिमाही में लगभग 400 टन (तिमाही आधार पर 115% अधिक) तक बढ़ गई। यह साल 2000 के बाद से सर्वाधिक मांग वाली तिमाही रही है और 2018 की तीसरी तिमाही के 241 टन के मुकाबले लगभग दोगना है। यह शुद्ध खरीदारी की लगातार आठवीं तिमाही है, जिसकी वजह से एक नवंबर 2022 (वाईटीडी) तक कुल भंडार 673 टन हो गया, जो 1967 के बाद से किसी एक साल में सर्वाधिक है।

जहां तक ईटीएफ की बात है, तो नवंबर 2022 के साथ वैश्विक गोल्ड ईटीएफ में लगातार सातवें महीने शुद्ध निकासी दर्ज की गई। नवंबर 2022 तक साल में अब तक (वाईटीडी) वैश्विक ईटीएफ विशेषकर उत्तरी अमेरिकी और एशियाई सूचीबद्ध फंड्स में शुद्ध रूप से 83 टन (2.4 अरब डॉलर) की निकासी हुई है।

2022 में बार और सिक्के और गहनों की मांग
महामारी के कारण दबी हुई मांग के परिणामस्वरूप 2022 की पहली तीन तिमाहियों में आभूषण और बार एवं सिक्के की खरीदारी में स्थिर रूप से वृद्धि हुई है, जिसे 2021 में इसी अवधि की तुलना में उपरोक्त डेटा सेट में देखा जा सकता है।

इसके अलावा, केंद्रीय बैंक की बढ़ती खरीदारी (जैसा कि पहले की रिपोर्ट में चर्चा की गई है) और 2022 की पहली तीन तिमाहियों में गहनों की मांग में लगातार वृद्धि, ईटीएफ की मांग में गिरावट की आंशिक रूप से भरपाई करती है।

कुल मिलाकर, मांग सोने की कीमतों के लिहाज से ठीक नहीं रही हैं और इसने रिटर्न के मोर्चे पर निवेशकों की उम्मीदों को झटका दिया है। इसकी वजह मुख्य रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता की स्थिति है।

सट्टा स्थिति – फंड मैनेजर्स ने 2022 में सोने की बिक्री की

वर्ष की पहली छमाही में सीएफटीसी की स्थिति ने संकेत दिया कि वैश्विक फंड प्रबंधक वर्ष के अधिकांश समय के लिए सोना जमा करते रहे हैं। हालांकि, दूसरी छमाही में, जब केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरें बढ़ानी शुरू की तो सोने की चमक में कमी आई और इसलिए हेज फंडों ने सोने में अपनी पोजीशन को कम करना शुरू कर दिया। जैसा कि साथ में चार्ट में देखा जा सकता है, वर्ष की शुरुआत में सोने में शुद्ध लॉन्ग लगभग 1,00,000 था, जबकि हेज फंड जून 2022 के बाद सोने के शुद्ध विक्रेता बन गए और 13 दिसंबर 2022 तक मौजूदा नेट लॉन्ग कम होकर 56,554 अनुबंधों तक आ गया।श्री प्रथमेश माल्या, एवीपी- अनुसंधान, गैर-कृषि वस्तुएँ और मुद्राएँ, एंजल वन लिमिटेड

2023 में सोने की कीमतों में आएगा उछाल
उच्च ब्याज दरें, उच्च महंगाई दर, रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहना, डॉलर का मजबूत होना 2022 की घटनाएं हैं और 2023 में भी इसके जारी रहने की उम्मीद है। वैश्विक महंगाई अभी भी केंद्रीय बैंकों के लिए सर दर्द बना हुआ है और इस वजह से ब्याज दरों का सामान्य स्तर पर आना और मौद्रिक नरमी 2023 में गोल्ड की कीमतों की राह में बाधा होगी।

रूस और चीन में मंदी के साथ-साथ अमेरिका में लगभग स्थिर उत्पादन के कारण वैश्विक उत्पादन में कमी आई है। पूरे यूरोप में तेजी से बिगड़ती विकास संभावनाओं ने 2022 और 2023 के दौरान वैश्विक मंदी की संभावना के बारे में एक बहस छेड़ दी है।

इसके अलावा, विश्व बैंक ने जून 2022 में चीन की अनुमानित विकास दर को 4.4% से घटाकर 2.7% और 2023 के लिए अनुमानित 8.1% से घटाकर 4.3% कर दिया है। दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट आने की उम्मीद है और इसमें ऊच्च महंगाई दर, कोविड की खतरा और यूक्रेन युद्ध जैसे प्रतिकूल प्रभाव भी शामिल हैं।

डॉलर ऐतिहासिक रूप से जिसों की कीमतों में उतार और चढ़ाव के केंद्रबिंदु में रहा है। पिछले कई दशकों से डॉलर की मजबूती और जिंसों के बीच सह-संबंध और इसका उलटा होना आम बात रही है।

हालांकि, लगभग दो वर्षों के लिए सीधे मजबूत होने के बाद, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स (डीएक्सवाई) ने हाल ही में वास्तविक और अपेक्षित दोनों दर अंतरों के निरंतर विस्तार के बावजूद भारी गिरावट देखी है। 2023 में, यदि डॉलर में गिरावट जारी रहती है, तो हम कमजोर डॉलर और बढ़ती वस्तुओं की कीमतों के बीच विपरीत संबंधों को देखेंगे और इस संबंध का सीधा और सर्वाधिक फायदा गोल्ड और सिल्वर को होगा।

कुल मिलाकर, वर्ष 2022 उतार-चढ़ाव भरा रहा है क्योंकि हममें से कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता था कि क्या आने वाला है। हालांकि, बड़े बाजारों में मंदी की संभावना 2022 में इक्विटी और कॉरपोरेट बॉन्ड के खराब प्रदर्शन को 2023 में भी जारी रख सकते हैं।

दूसरी ओर, गोल्ड या सोना सुरक्षा प्रदान कर सकता है क्योंकि यह आम तौर पर मंदी के दौरान अच्छा प्रदर्शन करता है। पिछली सात मंदी में से पांच में इसने सकारात्मक रिटर्न दिया है। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि सोना 2023 में दहाई अंकों के रिटर्न के साथ प्रदर्शन करेगा।

हमारा अनुमान है कि 2023 में सोने की कीमतें 58000 रुपये तक बढ़ जाएंगी, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 2023 में इसके 2100 डॉलर/औंस का होने की संभावना है। सोना खरीदने वाले निवेशकों के लिए संचयन का स्तर प्रति 10 ग्राम के लिए 48,000-50,000 रुपये के बीच रह सकता है। कीमतों में बढोतरी के बीच आवेश में आकर खरीदारी करने की बजाए रणनीति के तौर पर हम प्रत्येक गिरावट पर निवेशकों को इसे जमा करने की सलाह देते हैं।

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