Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 19 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेहत नागरिकों का मौलिक अधिकार है सभी को सस्ता और उचित दर पर इलाज मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है लिहाजा सरकार को निजी अस्पतालों में इलाज खर्च की सीमा तय करने पर भी विचार करना चाहिए। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आइपा ने सुप्रीम कोर्ट के इस विचार का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री से अपील की है कि वे प्राइवेट अस्पतालों द्वारा वसूले जाने पैसे की वैधानिकता की जांच कराएं और अपनी पार्टी के नारे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के अनुसार प्राइवेट अस्पतालों द्वारा किए जा रहे स्वास्थ्य के व्यवसायीकरण पर पूरी तरह से रोक लगाएं। ओपीडी राशि सहित अस्पताल में होने वाली सभी स्वास्थ्य जाचों और ऑपरेशन के खर्चे की वैधानिक राशि तय की जाए जिससे सबका विकास हो सके, और सबको सस्ता इलाज मिल सके।
आईपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में हृदय में पढ़ने वाले स्टंट की ₹18000 राशि तय की थी। जिससे हृदय रोगियों को इलाज में कम पैसा देना पड़े। लेकिन इससे मरीजों को कोई फायदा नहीं हुआ। प्राइवेट अस्पताल वाले स्टैंट डालने पर जो खर्चा पहले लेते थे अब उससे भी ज्यादा ले रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों के संचालक स्वास्थ्य इलाज व सेवा का पूरी तरह से व्यवसायीकरण कर रहे हैं और अपनी मनमर्जी से ओपीडी की, लैब में होने वाले टेस्टों व ऑपरेशन की राशि तय करते हैं। इस पर अंकुश लगना चाहिए और इन सबके वैधानिक मूल्य तय होने चाहिए और सुप्रीम कोर्ट ने जो अपना विचार प्रकट किया है उसकी गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार को उचित कार्रवाई करनी चाहिए। जिस तरह सरकारी अस्पताल गरीब अमीर सबके इलाज के लिए खुले हुए हैं उसी प्रकार प्राइवेट अस्पताल भी अमीर व गरीब सबके इलाज के लिए हर समय उपलब्ध होने चाहिए। आईपा के प्रदेश सचिव डॉ मनोज शर्मा,जिला अध्यक्ष एडवोकेट बी एस बीरदी, हरसीरत फाउंडेशन की चेयरमैन हरमीत कौर, समाज सेविका पिंकी कौशिक, महिला कल्याण मंच की संयोजक पूनम भाटिया ने भी सुप्रीम कोर्ट के विचारों का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री जी से गुहार लगाई है कि गरीब व मध्यम परिवारों को प्राइवेट अस्पतालों में सस्ती दर पर चिकित्सा मुहैया कराने की व्यवस्था की जाए। हरियाणा अभिभावक एकता मंच के जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिव कुमार जोशी ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि हरियाणा सरकार ने प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ फरीदाबाद के सर्वोदय, मेट्रो, एशियन, एस्कॉर्ट सनफ्लैग,आदि अन्य प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी जमीन कौड़ियों के भाव बहुत ही सस्ते दाम पर 99 साल के पट्टे पर सभी को सस्ता इलाज देने, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मरीजों के लिए बेड निर्धारित रखकर उनका निशुल्क इलाज करने की शर्त पर जमीन दी है जिस पर अस्पताल की बिल्डिंग बनाई गई है।लेकिन प्राइवेट अस्पताल संचालक हुडा विभाग की एक भी शर्त का पालन नहीं कर रहे हैं और गरीबों का इलाज नहीं कर रहे हैं। मंच ने इसकी जांच करने की मांग की है और दोषी पाए जाने वाले हुडा की शर्त के मुताबिक उनको दी गई सरकारी जमीन व उस पर बनी बिल्डिंग को रिज्यूम करके अस्पताल को अपने अंडर में लेकर सरकारी स्तर पर इलाज कराना चाहिए।