Chandigarh Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 27 जून। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि सरकार जबरदस्ती कर्मचारियों पर यूपीएस थोप रही है। जबकि कर्मचारी ना ही यूपीएस से सहमत हैं, ना ही एनपीएस से। उनकी मांग सिर्फ और सिर्फ OPS की है।
केंद्र सरकार की तर्ज पर राज्य कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए हरियाणा कैबिनेट ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की गई। यह स्कीम पेंशन स्कीम न होकर एक पेआउट स्कीम है, जो कि बजट में स्पष्ट लिखा गया है। पे-आऊट का अर्थ है, एकमुश्त राशि जमा करवाने या निवेश करने पर प्राप्त लाभ का भुगतान करना।
हुड्डा ने कहा कि कर्मचारियों से पुरानी पेंशन छीन कर बीजेपी सरकार उनकी सामाजिक सुरक्षा को पूरी तरह खत्म करने पर उतारू है।
केंद्र सरकार पहले ही 1 अप्रैल 2025 से 30 जून 2025 तक केंद्रीय कर्मचारियों को यूपीएस चुनने का विकल्प दे चुकी है। लेकिन अभी तक 30 लाख केंद्रीय कर्मचारियों में से केवल 20 हजार कर्मचारियों द्वारा ही यूपीएस का विकल्प चुना गया है। इससे स्पष्ट होता हैं कि कर्मचारियों की मांग एनपीएस और यूपीएस नहीं केवल और केवल ओपीएस है।
क्योंकि, ओपीएस स्वचालित डीए संशोधन और वेतन आयोगों के कार्यान्वयन के साथ पेंशन के रूप में अंतिम मूल वेतन का 50% गारंटी देता है। जबकि यूपीएस केवल तभी 50% पेंशन प्रदान करता है, जब सेवा कम से कम 25 वर्ष हो और कई शर्तें पूरी होती हों। ओपीएस में पेंशन के लिए कर्मचारी को अपनी तरफ से कोई अंशदान नहीं देना पड़ता जबकि यूपीएस में कर्मचारी को पूरे सेवाकाल के दौरान अपने वेतन और डीए का दस प्रतिशत अंशदान देना पड़ता है और सेवानिवृत्ति पर भी वापिस नहीं किया जाता। न ही मृत्यु होने पर उसके नोमिनी को वापिस किया जाता है। यदि कर्मचारी का सेवानिवृत्ति के पश्चात पांच साल से पहले देहांत हो जाता है तो उस स्थिति में तो वह स्वयं के अंशदान की भी प्रतिपूर्ति नहीं कर पाता।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार इधर-उधर के बहाने और अनाप-शनाप की स्कीम जारी करना छोड़कर, सीधे कर्मचारियों की मांगों को माने और उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए OPS की मांग को पूरा करे।