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नवरात्रों के चौथे दिन महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में हुई मां कूष्मांडा की भव्य पूजा, भक्तों ने लगाए जयकारे

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : नवरात्रे के चौथे दिन महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में मां कूष्मांडा की भव्य पूजा अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने मां के हवन यज्ञ में आहुति डाली और मां के सामने जयकारे लगाते हुए अपनी अरदास की। महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। मंदिर में पहुंचकर भक्तों ने मां कूष्मांडा की पूजा की तथा अपनी मनोकामना रखी। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए सभी श्रद्धालुओं का स्वागत किया तथा उन्हें नवरात्रों की शुभकामनाएं दीं।
इस शुभ अवसर पर उद्योगपति आर के बत्तरा, मंदिर संस्थान के चेयरमैन प्रताप भाटिया, व्यापारी नेता नीरज मिगलानी, नीरज भाटिया,राममेहर, विनोद पांडे, फकीरचंद कथूरिया, प्रीतम धमीजा, राहुल, अमिताभ एवं अमित ने मां के समक्ष अपनी हाजिरी लगाई तथा पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने इन सभी को माता की चुनरी भेंट की तथा प्रसाद वितरित किया। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि मां दुर्गा के  चौथे स्वरूप को मां कूष्मांडा कहा जाता है।
अपनी मंद हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रहांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड कहते हैं। बलियों में कुम्हडे की बलि इन्हें सर्वाधिक पसंद है। इस कारण से भी मां दुर्गा के चौथे स्वरूप को मां कूष्मांडा कहा जाता है। देवी कूष्मांडा योग ध्यान की देवी भी हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी रूप है।
श्री भाटिया ने कहा कि माता कूष्मांडा के  दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राहणों को इसका प्रसाद देना चाहिए। इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है। बुद्धि और कौशल का विकास होता है और इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विध्र दूर हो जाता है। मां का प्रिय भोग मालपुआ है और पीला रंग उन्हें अत्यंत प्रिय है।

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