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Faridabad NCR

मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान दान का बड़ा महत्व : स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य

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Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : स्नान, दान के महापर्व मकर संक्रांति के अवसर पर श्री सिद्धदाता आश्रम में अधिष्ठाता जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े, साड़ी और अनाज प्रदान कर आशीर्वाद दिया।
इस अवसर पर श्री गुरु महाराज ने प्रदान कहा कि सभी को अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। दान हमारे पुण्य कर्मों में वृद्धि करता है। उन्होंने कहा कि दान का महत्व इतना बताया गया है कि व्यक्ति के अपने संचित पाप भी दान से नष्ट होने लगते हैं और अंत में व्यक्ति मुक्ति को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति का पर्व मौसम में बदलाव की भी सूचना देता है। आज से सूर्य उत्तरायण हो चले हैं जिससे अब पशु, पक्षी और प्रकृति में चुस्ती स्फूर्ति का संचार बढ़ने लगता है और व्यक्ति के काम करने की शक्ति में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि श्री सिद्धदाता आश्रम में स्थापना काल से ही दान, सेवा, सुमिरन का बड़ा महत्व माना जाता है और हमारे सभी सेवा प्रकल्प इन बातों को स्थापित भी करते हैं।
उन्होंने बताया कि अलग-अलग नाम से ही सही लेकिन यह पर्व पूरे देश में मनाया जाता है। इसे ऋतु पर्व भी कहा जाता है। इसका अर्थ है कि आज से शरद ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है और बसंत का प्रभाव बढ़ने लगता है। उन्होंने बताया कि इस पर्व के पीछे पौराणिक कथाएं भी हैं लेकिन सभी का मूल अर्थ हमें भगवान की प्रकृति के साथ जोड़ना ही है। आज के दिन हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम यथासंभव प्रकृति का संरक्षण करेंगे और जरूरतमंदों को सहयोग करेंगे।
उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती ह। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

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