Connect with us

Faridabad NCR

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने किया शोभायात्रा का शुभारंभ  

Published

on

Spread the love

Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : श्री सिद्धदाता आश्रम स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम के पांच दिवसीय ब्रह्मोत्सव के समापन अवसर पर भक्तों ने गुरुवार देर सायं पांच किलोमीटर लंबी शोभायात्रा निकालकर इतिहास रच दिया। इस शोभायात्रा की शोभा देखकर लोगों ने दांतों तले अंगुलियां दबा ली होंगी। हर तरफ लोग ही लोग नजर आ रहे थे।

घोडे, ऊंट, नगाड़े, बीन पार्टी, ढोल पार्टी, डीजे, शहनाई की धुनों पर नाचते झूमते भक्तों, हजारों की संख्या में सिर पर कलश लिए सौभाग्यवती महिलाओं और सुंदर झांकियों सहित संतों की उपस्थिति को लोगों ने घरों से निकल निकल कर निहारा। यह यात्रा दिव्यधाम से निकल सूरजकुंड रोड होते हुए सेक्टर 21, मेवला मोड, अनखीर चौक होते हुए वापिस दिव्यधाम पर संपन्न हुई। जहां दिल्ली से आए कलाकारों ने विस्मित करने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं।

इससे पहले शोभायात्रा का शुभारंभ करने हरियाणा के कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा पहुंचे। जिन्होंने जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज के सान्निध्य में विधि अनुसार शोभायात्रा का प्रारंभ किया। शर्मा ने कहा कि श्री सिद्धदाता आश्रम श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में लाखों लोगों की आस्था है और मैं स्वयं इसका गवाह हूं कि यहां आने वालों की प्रार्थना भगवान अवश्य ही सुनते हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा में शामिल होना एक गर्व की बात है साथ ही पुण्य का कार्य भी है। यात्रा में पूर्व मंत्री विपुल गोयल भी शामिल हुए और संतों से आशीर्वाद लिया। ब्रह्मोत्सव में आरा बिहार से जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी ज्योतिनारायणाचार्य महाराज, बड़ा खटला वृंदावन से स्वामी रामेश्वराचार्य महाराज एवं अलवर राजस्थान से स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज प्रमुख रूप से मौजूद रहे। उन्होंने अपने संक्षिप्त प्रवचन में श्री सिद्धदाता आश्रम की महिमा का गुणागान किया। उन्होंने कहा कि आश्रम के संस्थापक वैकुंठवासी स्वामी का वचन है कि यहां आने वालों को जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती रहेगी। ऐसा ही वचन रामानुज स्वामी ने भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण से लिया कि जो भी संप्रदाय में दीक्षित होगा, उसे सर्वस्व की प्राप्ति होगी।

अपने प्रवचन में जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने कहा कि जिसके हृदय में प्रेम होता है, उसको ही भगवान की कृपा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि भगवान ही प्रेम हैं, उन्हें पाने के लिए प्रेम मय होना होगा। उन्होंने कहा कि जिसने जीवन में किसी से प्रेम नहीं किया, उसे भगवान नहीं मिल सकते। उन्होंने यात्रा में सम्मिलित होने वाले सभी धर्मप्रेमियों के जीवन में आशातीत बदलाव का आशीर्वाद दिया। उपस्थित संतों ने चिरंजीव अरुण शर्मा को अनिरुद्धाचार्य नाम देकर युवराज भी घोषित किया जिसका भक्तों ने हर्षित होकर स्वागत किया। संतों ने अनिरुद्धाचार्य को विनम्रता की प्रतिमूर्ति बताया।

Continue Reading

Copyright © 2024 | www.hindustanabtak.com