Faridabad NCR
मानव रचना में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आईकैन-6 का हुआ आयोजन, विषय पर जानकारों ने रखे विचार
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 23 जून। मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (एमआरआईआईआरएस) में पत्रकारिता और जनसंचार विभाग की ओर से पहचान, संस्कृति और एजेंडा- संचालित न्यूज़ कास्ट (आईकैन-6) अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। दिल्ली मेट्रोपॉलिटन एजुकेशन, नोएडा के सहयोग से हुए इस कार्यक्रम का मकसद वर्ष 2030 तक संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी-3) को प्राप्त करने के लिए भारत की तैयारियों और स्वास्थ्य एवं विज्ञान की भूमिका पर चर्चा करना रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डीन प्रोफेसर (डॉ.) मैथिली गंजू ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य सिर्फ वैचारिक मानक नहीं हैं, बल्कि इनसे कहीं ज्यादा हैं। हमें इसके मूल सिद्धांतों पर फोकस करते हुए ये देखने की जरूरत है कि भारत इन लक्ष्यों पर कहां खड़ा है। बतौर वक्ता पहुंची साउथ एशिया ऑर्गन एंड कंपनी से पब्लिक हेल्थ एंड पॉलिसी प्रोफेशनल सुश्री प्राची गर्ग ने संबोधित करते हुए कहा कि नीतियों की बात करें तो भारत सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रही है। जहां तक स्वास्थ्य देखभाल का सवाल है, इसपर हमें अपनी रणनीति बदलकर महिलाओं की स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो केजी सुरेश ने विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वास्थ्य को पहले कभी गंभीरता से नहीं लिया गया, हालांकि अब इसपर ध्यान दिया जा रहा है। इसमें मीडिया अहम भूमिका निभा सकता है, लेकिन मीडिया का ध्यान इस ओर कम है । कम्यूनिकेशन स्पेशलिस्ट सुश्री कल्याणी राजन ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सूचना देने का मीडिया का उद्देश्य तभी पूरा होता है, जब जानकारी लोगों को कोई कार्य करने या उनके व्यवहार में बदलाव करने को प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि हमें संदेश सही समय पर सही लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्हीं प्रेरक कार्यों पर काम करना चाहिए।
वैज्ञानिक व विज्ञान प्रसार डीएसटी के हिंदी प्रकाशन एवं विज्ञान प्रकाशन एवं साइंस फिल्म फेस्टिवल प्रमुख श्री निमिष कपूर ने कहा कि भारत सरकार ने सफलता की कई कहानियां लिखी हैं। उन्होंने सांस्कृतिक दूरी प्रदाता मॉडल का उदाहरण देते हुए विषय वस्तु प्रदाता, मीडिया और प्राप्तकर्ता के बीच तीन स्तरीय संबंधों पर विचार रखे। डॉ. विक्रांत किशोर, निदेशक, शॉर्ट फिल्म रिसर्च प्रायोरिटी एरिया, इंस्टीट्यूट ऑफ एशिया एंड पैसिफिक स्टडीज, इंस्टीट्यूट ऑफ एशिया एंड पैसिफिक स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम, चाइना कैंपस ने विभिन्न देशों में सांस्कृतिक सांस्कृतिक भेदभाव को नियंत्रित करने में मीडिया की भूमिका पर बात की। प्रोफेसर (डॉ.) अंबरीश सक्सेना ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि ऐसे सम्मेलन ज्ञान भंडार के निर्माण में विशेष भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन को ज्ञान का केंद्र बनाकर मीडिया शिक्षा और मीडिया उद्योगों को भी लाभ पहुंचाना चाहिए।