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विश्व के प्रभावशाली वैज्ञानिकों की सूची में जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की डाॅ स्मिता कुमार को जगह

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 30 अक्टूबर। जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद की पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. स्मिता एस कुमार को पर्यावरण विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने शोध के लिए दुनिया के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों की श्रेणी में जगह मिली है। अमेरिका के प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने डाॅ. स्मिता को विश्व के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया है।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष दुनिया भर के शीर्ष दो प्रतिशत शोधकर्ताओं के लिए उनके शोध प्रकाशनों के आधार पर डेटा जारी करता है जो अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक एल्सवियर द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इस वर्ष, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने दो प्रतिशत शीर्ष वैज्ञानिकों में भारतीय विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लगभग 2,042 वैज्ञानिकों की पहचान की है।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने डॉ. स्मिता को अपने उत्कृष्ट शोध कार्य से विश्वविद्यालय का नाम रौशन करने पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के अनुरूप अनुसंधान करने के लिए जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों के उच्च गुणवत्ता के शोध कार्य और योग्यता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि डाॅ. स्मिता की उपलब्धि से विद्यार्थियों और शोधार्थियों को उच्च गुणवत्ता का शोध करने के लिए प्रेरित करेगी।
डॉ स्मिता ने इस उपलब्धि को डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट गाइड गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार में प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई, और आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर विवेक कुमार को समर्पित किया है। उन्होंने शोध कार्य में सहयोग देने के लिए विश्वविद्यालय और विभाग को भी श्रेय दिया है।
उत्साही शोधकर्ता के रूप में डॉ. स्मिता पर्यावरण के विषयों, मुख्य रूप से जल और अपशिष्ट जल के उपचार के साथ-साथ जैव-ऊर्जा उत्पादन में काम करती रही हैं। डॉ स्मिता के 70 से ज्यादा शोध लेख प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं, शोध सम्मेलनों एवं पुस्तक अध्यायों केे रूप में प्रकाशित हो चुके है। उनका शोध कार्य प्रभावशाली रहा है, जिसका प्रभाव कारक 255.5, 1980 गूगल स्कॉलर साइटेशन, एच-इंडेक्स 25 और आई10-इंडेक्स 41 है। उनका शोध कार्य माइक्रोबियल ईंधन सेल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके लैंडफिल लीचेट के उपचार पर केंद्रित है। उन्होंने 2019 में सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी, आईआईटी दिल्ली से पोस्ट-डॉक्टरल शोध पूरा किया है।
प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों की सूची तैयार करने के लिए स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा अपनाई गई पद्धति के अनुसार, सभी शोधकर्ताओं को 22 वैज्ञानिक क्षेत्रों और 176 उप-क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया। उन सभी वैज्ञानिकों के लिए फील्ड और सबफील्ड-विशिष्ट पर्सेंटाइल भी प्रदान किये गये जिन्होंने कम से कम पांच पेपर प्रकाशित किए हैं। यह सूची स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की शोध टीम द्वारा तैयार की गई थी और इसे 19 अक्टूबर को जारी किया गया है। डेटा में वे सभी वैज्ञानिक शामिल हैं जो कम्पोजिट साइटेशन इंडेक्स के अनुसार सभी क्षेत्रों में शीर्ष 1,00,000 में शामिल हैं।

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