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प्राइवेट कॉलेज व स्कूलों की वैधानिक फीस के लिए बने केंद्रीय कानून, आईपा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उठाई मांग

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Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 28 दिसंबर। आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा ने प्रधानमंत्री व केंद्रीय शिक्षामंत्री को पत्र लिखकर नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षण संस्थान व कॉलेज तथा सीबीएसई व राज्य बोर्डों के प्राइवेट स्कूलों के लिए वैधानिक फीस व फंड्स निर्धारित करने के लिए एक मजबूत और पारदर्शी तंत्र व आयोग बनाने और केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है जिससे इनके द्वारा किए जा रहे शिक्षा के व्यवसायीकरण व मनमानी पर पूरी तरह से रोक लग सके। आईपा ने इस मांग के अलावा एक ग्यारह सूत्री मांगपत्र प्रधानमंत्री को भेजकर उस पर उचित कार्रवाई करने की अपील की है।आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि आइपा की राष्ट्रीय कोर कमेटी की रविवार को ज़ूम मीटिंग आयोजित की गई जिसमें नई शिक्षा नीति को लेकर विचार विमर्श किया गया। इसमें सभी ने अपनी राय प्रकट करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा के व्यवसायीकरण पर पूरी तरह से रोक लगाने व सरकारी कॉलेज व स्कूलों की दशा में गुणात्मक सुधार करने के बारे में कोई भी बात नहीं कही गई है। इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों को शिक्षा नीति में शामिल करना बहुत जरूरी है।अतः आइपा की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आइपा की इस मांग व अन्य 11 मांगों पर उचित कार्रवाई करने की अपील की है।
कैलाश शर्मा ने कहा है कि आईपा की ओर से एक पंफलेट के माध्यम से आम जनता व अभिभावकों को इन 11 सूत्री मांगों की जानकारी दी जा रही है।
11 सूत्रीय एजेंडा व मांगपत्र
देश के सभी सरकारी स्कूलों को केंद्रीय विद्यालय संगठन के समान बनाया जाए
सभी स्कूली बच्चों को गुणात्मक मिड डे मील की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
केंद्र सरकार को देश भर के सभी निजी कालेज व स्कूलों के लिए वैधानिक फीस विनियमन कानून बनाना चाहिए और स्कूल की मैनेजमेंट में 50% भागीदारी अभिभावकों की होनी चाहिए
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा हर साल कालेज व स्कूलों के आय व व्यय व खातों की जांच व ऑडिट कराया जाए।
कोरोना महामारी के चलते अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनसे सिर्फ गत वर्ष की ही बिना बढ़ाई गई  ट्यूशन फीस, बिना किसी अन्य फंडों के ली जाए और जो अभिभावक इसको देने में भी असमर्थ हैं उनको इस फीस से भी छूट दिलाई जाए। फीस न देने के कारण किसी भी बच्चे का नाम न काटा जाए
कोरोना काल में बाधित हुई पढ़ाई को देख करते हुए शिक्षा सत्र 2020 -21 को जीरो अकादमिक वर्ष घोषित करके सभी छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए।
केंद्रीय सरकार को नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, (आरटीई ) में संशोधन करके इसका फायदा बारहवीं कक्षा तक  के छात्रों को दिलाया जाए।
निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक और अन्य स्टाफ को  निर्धारित वेतनमान के अनुसार वेतन मिलना सुनिश्चित किया जाए।
देश के सभी सहायता व मान्यता  प्राप्त स्कूलों में स्कूल शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त होनी चाहिए।
संविधान में आवश्यक संशोधन करके सभी माइनोरिटी स्कूलों को भी आरटीई अधिनियम, 2009 के तहत लाया जाना चाहिए।
शिक्षकों के रिक्त पदों पर शीघ्र स्थाई तौर पर नियुक्ति की जानी चाहिए और शिक्षकों को गैर  शैक्षणिक कार्यों में न लगाकर उन्हें सिर्फ शैक्षणिक कार्यों में ही ड्यूटी करने देना चाहिए।
आइपा की ओर से केंद्र सरकार से मांग की गई है कि नई बनाई जा रही शिक्षा नीति में इन 11सूत्री एजेंडा में कही गई सभी बातों व मांगों को शामिल किया जाए।
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