Faridabad NCR
नसीहत में धमकी देना ठीक नहीं : जितेन्द्र बच्चन
Ghaziabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : गाजियाबाद के डीएम इन्द्र विक्रम सिंह आजकल खासे चर्चा में हैं। लोकसभा चुनाव-2024 के मद्देनजर उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में शनिवार को आचार संहिता के मद्देनजर मीडिया और रविवार को प्रिंटिग प्रेस वालों के साथ एक बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि इसे हमारी धमकी समझिए या नसीहत, हर हाल में आचार संहिता का अनुपालन होना चाहिए। इससे पत्रकारों में हड़कंप मच गया। प्रेस कांफ्रेसं में जो कुछ नहीं बोलने का साहस बटोर पाए, उन्हें भी अब अपनी तौहीन नजर आ रही है।
और कई पत्रकारों की तो धड़कनें बढ़ गईं, जो अपने आपको तुर्ररम खा समझते हैं और चुनाव आते ही कुछ राजनीतिक दलों या पार्टियों से एक मोटी रकम लेकर उनके विज्ञापन को खबर की तरह बनाकर परोस देते हैं। इस सच को इन्द्र विक्रम सिंह जानते हैं। उन्हें पता है कि ऐसी खबरें ‘खबर’ नहीं होती, बल्कि अप्ररोक्ष तौर पर यह एक विज्ञापन होता है, जिससे आम लोग दिगभ्रमित होते हैं। इसी बात को वह पत्रकारों को शायद समझाने का प्रयास भी कर रहे थे, लेकिन वह इस बात को भूल गए कि इससे पत्रकार भलीभांति परिचित हैं। उनकी समस्या यह है कि मीडिया घरानों का अप्ररोक्ष रूप से दबाव होता है। अवसर का लाभ उठाने की बात की जाती है। ऐसे में स्थानीय पत्रकार के आगे नौकरी बचाने की मजबूरी होती है।
लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अभी गाजियाबाद में ऐसा कोई कृत्य शायद जिला निर्वाचन अधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह के सामने नहीं आया है। तब फिर उन्हें पत्रकारों से बातचीत करते समय कहीं और की दलील देकर इस तरह की भाषा-शैली का प्रयोग नहीं करना चाहिए था। पत्रकार ही नहीं, किसी को भी धमकाना अच्छी बात नहीं है। आप जैसे एक जिम्मेदार अधिकारी से तो कतई ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। आप चाहते तो इस बात को ऐसे भी कह सकते थे कि जो लोग इस तरह की कारगुजारी करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। बस, यही एक चूक हो गई।
इन्द्र विक्रम सिंह जिस मीटिंग में नसीहत के रूप में धमकी दे रहे थे, वहां कई ऐसे पत्रकार भी मौजूद थे, जिन्हें यह बात कचोट गई। कचोटनी भी चाहिए। लेकिन मन मसोसकर रह गए। अब बात निकली है तो दूर तक जाएगी। हमारा ऐसा मत है कि श्री सिंह एक बेहतरीन अधिकारी हैं, इसलिए शब्दों के चयन में उन्हें थोड़ी सावधानी तो बरतनी चाहिए। निश्चित ही उन्हें यह बात समझनी होगी कि धमकी जैसे शब्द का प्रयोग करने से जनमानस में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।