Faridabad NCR
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने शोधार्थियों के लिए अकादमिक संवाद श्रृंखला का शुभारंभ किया
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 28 नवंबर। जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के विज्ञान और जीव विज्ञान संकाय द्वारा अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में एक अकादमिक संवाद श्रृंखला का शुभारंभ किया है, जिसका उद्देश्य शोधार्थियों को अपने शोध संबंधी कार्यों एवं समस्याओं का साझा करने के लिए मंच प्रदान करना है ताकि वे मूल शोध करें और अपने साथी संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं से सीख सकें। यह श्रृंखला विश्वविद्यालय द्वारा अपनी तरह की पहल है, जोकि प्रदेश में अंतःविषय विज्ञान को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभायेगी।
कार्यक्रम की शुरुआत विज्ञान और जीव विज्ञान संकाय की डीन प्रोफेसर नीतू गुप्ता के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने विश्वविद्यालय के विभिन्न विज्ञान विभागों में अनुसंधान कार्य एवं गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने सभी शोधार्थियों को संवाद श्रृंखला से जुड़ने के लिए बधाई दी और उन्हें अपने विचारों पर खुलकर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित और पर्यावरण विज्ञान विभागों के शोधार्थियों के साथ संवाद किया तथा उत्कृष्ट वैज्ञानिक योग्यता विकसित करने के लिए उनको मार्गदर्शन दिया।
कार्यक्रम के दौरान, गणित विभाग से शोधार्थी दीपक ने क्वांटम ऑप्टिक्स की बुनियादी अवधारणाओं पर व्याख्यान दिया, जबकि भौतिकी विभाग से शोधार्थी अनीता शर्मा ने ऑप्टोइलेक्ट्रिकल सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए पॉलीएनिलिन-आधारित नैनोस्ट्रक्चर पर अपना शोध प्रस्तुत किया। रसायन विज्ञान विभाग की हिमाशी ने भी अपना शोध कार्य साझा किया।
सत्र के समापन पर अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ की निदेशक प्रोफेसर मनीषा गर्ग ने अभिनव कार्यों में शोधार्थियों के समक्ष आने वाली वैज्ञानिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए विश्वविद्यालय की पहल में हिस्सा लेने के लिए सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में भौतिकी विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर सोनिया बंसल, प्रोफेसर अनुराधा शर्मा, पर्यावरण विज्ञान विभाग की अध्यक्षा डॉ. रेणुका गुप्ता और संकाय समन्वयक डॉ. सोमवीर, डॉ. अनुराग प्रकाश, डॉ. सूरज गोयल और डॉ. प्रमोद कुमार भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में 50 से ज्यादा शोधार्थियों तथा संकाय सदस्यों ने हिस्सा लिया।