Faridabad NCR
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने स्वदेशी शोध संस्थान के साथ किया समझौता
Faridabad Hindustanabtak.com/Dinesh Bhardwaj : 20 नवंबर। जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने स्वदेशी शोध संस्थान, नई दिल्ली के साथ समझौता किया हैं। स्वदेशी स्वावलंबन न्यास ट्रस्ट के तहत संचालित स्वदेशी शोध संस्थान भारतीय ज्ञान प्रणाली और अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ-साथ पूरे देश में स्वदेशी के सिद्धांतों के प्रति जागरूकता लाने की दिशा में काम कर रहा है।
समझौते पर जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. मेहा शर्मा और स्वदेशी शोध संस्थान के सलाहकार श्री सुरेश गुप्ता ने हस्ताक्षर किए। समारोह में विश्वविद्यालय के प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें निदेशक (अनुसंधान एवं विकास) प्रो. मनीषा गर्ग, कंप्यूटर एप्लीकेशन विभाग की अध्यक्षा डॉ. शिल्पा सेठी और सहयोग एवं उद्योग संपर्क प्रभारी डॉ. रश्मि पोपली शामिल रहे। इस साझेदारी का उद्देश्य प्रशिक्षण, कौशल विकास, उद्यमिता और रोजगार गतिविधियों के आयोजन में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर केंद्रित सहयोगी शैक्षणिक, अनुसंधान और विस्तार पहलों को बढ़ावा देने पर भी बल देगा। इसके अतिरिक्त, समझौते में मूल्य-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने, उनमें राष्ट्रीय चरित्र को विकसित करने और उनके समग्र विकास के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने समझौता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए स्वच्छ प्रौद्योगिकीय अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डाला तथा इस दिशा में स्थायी ऊर्जा अनुसंधान को आगे बढ़ाने के प्रयासों के लिए स्वदेशी शोध संस्थान की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को इस सहयोग से काफी लाभ होगा। विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में इलेक्ट्रिक वाहनों पर एक पाठ्यक्रम की शुरूआत भी की गई है। उन्होंने दोनों पक्षों को समझौते के तहत पहलों में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
स्वदेशी शोध संस्थान के सलाहकार श्री सुरेश गुप्ता ने बताया कि उनका संस्थान पूरे हरियाणा में सरकारी विश्वविद्यालयों के साथ सहभागिता को लेकर समझौते कर रहा है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा सुरक्षा, एनिमेशन और गेमिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित कार्यशालाएं आयोजित करने की योजनाओं की रूपरेखा पर चर्चा की। श्री गुप्ता ने विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को नई दिल्ली स्थित संस्थान की शोध सुविधाओं में मिलकर काम करने के लिए आमंत्रित भी किया।