Faridabad NCR
जे.सी. बोस विश्वविद्यालय 3डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी पर एडवांस लैब विकसित करेगा
Faridabad Hindustan ab tak/Dinesh Bhardwaj : 20 जनवरी जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद जल्द ही 3डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी पर एक उन्नत प्रयोगशाला विकसित करेगा, जिससे विद्यार्थियों को 3डी मॉडलिंग और 3डी प्रिंटिंग के अनुप्रयोगों को सीखने का अनुभव मिल सकेगी।
यह जानकारी कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (अटल) अकादमी के सहयोग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा 3डी प्रिंटिंग एंड डिजाइन पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए दी। इस अवसर पर आईआईटी दिल्ली से प्रो पी.एम. पांडे मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता रहे। बोनी पॉलिमर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक व वाईएमसीए एल्युमनी राज भाटिया विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सत्र में विभिन्न विभागों के डीन और विभागाध्यक्षों ने भी भाग लिया।
कुलपति ने कहा कि आजकल 3डी प्रिंटर का उपयोग चिकित्सा से लेकर उच्च श्रेणी के इंजीनियरिंग उद्योगों सहित कई क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसलिए, यह प्रौद्योगिकी न केवल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के साथ-साथ दूसरे विषयों के विद्यार्थियों के लिए भी लाभकारी है। उन्होंने कहा कि 3डी प्रिंटिंग तकनीक की मदद से विद्यार्थी अपने अभिनव कल्पनाओं को अभ्यास के माध्यम से डिजाइन में बदल सकते है, जिससे रचनात्मकता और नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने 3डी प्रिंटिंग पर कार्यशाला आयोजित करने के लिए विभाग द्वारा की गई पहल की सराहना की तथा विद्यार्थियों से 3डी प्रिंटिंग के औद्योगिक और वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों को सीखने के लिए प्रेरित किया।
अपने संबोधन में प्रो. पी.एम. पांडे ने विभिन्न क्षेत्रों में 3डी प्रिंटिंग की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और कहा कि विद्यार्थी अपनी अभिनव कल्पनाओं को सीमित न रखें बल्कि वास्तविकता में बदलने के लिए प्रयास करें।
श्री राज भाटिया ने प्रतिभागियों को उद्योग में 3डी प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में बताया और कहा कि चूंकि तकनीकी विकास तेजी से हो रहा है, इसलिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अंतःविषय क्षेत्र की नई अग्रिम तकनीकों को भी सीखना चाहिए।
इससे पहले, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. तिलक राज ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त परिचय दिया। कार्यशाला के समन्वयक डॉ. संजीव कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। सत्र का समन्वयन डॉ. राजीव साहा ने भी किया।